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किसानों के लिए सरकारी योजनाएं

किसानों के लिए सरकारी योजनाएं न केवल उन्हें लाभ देने का काम करती हैं, बल्कि उनकी आय बढ़ाने में भी मील का पत्थर साबित होती हैं. भारत की केंद्र और राज्य सरकारें दोंनो ही अपने-अपने स्तर पर किसानों के लिए विभिन्न योजनाएं चलाते हैं. साल 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार के आने के बाद से ही किसानों के लिए कई सरकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं. इसे मोदी सरकार की राजनीतिक मंशा कह ले या ढोल-नगाड़े पीटकर प्रचारित करने की कला. केंद्र की मोदी सरकार दोनों में ही अव्वल है. दोस्तों हमारा इस आर्टिकल को लिखने के पीछे का उद्देश्य पिछली और अभी की सरकारी योजनाओं का विश्लेषण करना नहीं है. हम इसके माध्यम से आपके सामने सरकारों द्वारा चलाई जा रही सरकारी योजनाओं को पहुंचाना चाहते हैं ताकि आप उनका अधिक-अधिक लाभ ले सके और अपनी आय बढ़ाने की तरफ़ अग्रसर हो सकें.

Table of Contents

किसानों के लिए सरकारी योजनाएं
1.प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना ( Pradhan Mantri Kisan Samman Nidhi Yoajan)
2.प्रधानमंत्री किसान मानधान योजना ( Pradhan Mantri Kisan MaanDhan Yoajan)
3.प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Beema Yojana)
4.किसान क्रेडिट कार्ड योजना ( Kisan Credit Card Yojana)
5.पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना ( Pashu Kisan Credit Card Yojana)
6.परंपरागत कृषि विकास योजना ( Parampragat Krishi Vikasa Yojana)
7.प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना ( Pradha Mantri Kishi Sinchai Yojana)
8.राष्ट्रीय कृषि बाज़ार ( Rashtiya Krishi Bazar)
9.डेयरी उद्यमिता विकास योजना  ( Dairy Entrepreneurship development Scheme- DEDS)
10.मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड योजना (Soil Health Card Scheme)
11. राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (National Mission for Sustainable Agriculture )
12.पशुधन बीमा योजना ( Pashudhan Beema Yojana)
13. ग्रामीण भंडारण योजना (Gramin Bhandaran Yojana)
14.सूक्ष्म सिंचाई फण्ड (Micro Irrigation fund)
15.प्रधानमंत्री कुसुम योजना (PM KUSUM Yojana)
16 .पीएम किसान एफपीओ योजना (PM Kisan FPO Yojana)
अलग-अलग सरकारों द्वारा चलाई गई योजनाएं

आइये सरकार द्वारा किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं के बारे में जानते हैं

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना ( Pradhan Mantri Kisan Samman Nidhi Yoajana )

इस योजना की औपचारिक रुप से शुरुआत 1 दिसम्बर 2018 को थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 फ़रवरी 2019 को यूपी के गोरखपुर से इसका ऐलान किया था. इस योजना के तहत छोटे और मझले किसानों को तीन किस्तों में दो-दो हज़ार रुपए की सहायता राशि दी जाती है. इस योजना के तहत किसानों के खाते में डीबीटी योजना के तहत सालाना 6 हज़ार रुपए डाले जाते हैं.साल 2020 के अंत तक किसानों के खाते में इस योजना की सात किस्तें डाली जा चुकी हैं. किसान सरकार की वेबसाइट https://pmkisan.gov.in/ पर अपना नाम देख सकते हैं.

प्रधानमंत्री किसान मान धान योजना ( Pradhan Mantri Kisan MaanDhan Yoajan)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री किसान मान धान योजना की शुरुआत 12 सितम्बर 2019 को थी. इसके तहत छोटे और सीमान्त किसानों को 60 वर्ष की आयु के बाद 3000 हज़ार रुपए का मासिक अंशदान दिया जाएगा. इसके लिए 18 से 40 साल की आयु वाला किसान आवेदन कर कर सकता है. इसके लिए किसान को कम से कम 20 और ज़्यादा से ज़्यादा 42 साल तक वर्ष अनुसार 55 से 200 रुपये तक का मामूली अंशदान करना होगा.

प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Beema Yojana)

केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Beema Yojana) की शुरुआत 13 जनवरी 2016 को की. इसके तहत किसानों को खरीफ की फसल के लिए दो प्रतिशत और रबी की फ़सल के 1.5 प्रतिशत प्रीमियम का देना होता है.

किसान क्रेडिट कार्ड योजना ( Kisan Credit Card Yojana)

किसान क्रेडिट कार्ड योजना ( Kisan Credit Card Yojana) का मकसद किसानों को कम व्याज पर कर्ज मुहैया कराना है. इसके तहत किसानों को 3 लाख रुपये का कर्ज मिलता है. किसानों को कर्ज पर केवल 7 प्रतिशत का भी व्याज चुकाना पड़ता है. किसान इसकी मदद से खाद, उर्वरक और बीज खरीद सकते हैं.

पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना ( Pashu Kisan Credit Card Yojana)

पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना ( Pashu Kisan Credit Card Yojana) को हरियाणा सरकार द्वारा शुरू किया गया है. इसके तहत पशुपालक किसानों को कर्ज दिया जाता है. योजना के तहत पशुपालक किसान को 1.60 लाख तक कर्ज बिना किसी गारंटी के दिया जाता है. साल 2020 के अंत तक यह योजना केवल हरियाणा सरकार द्वारा ही चलाई जा रहा है.

परंपरागत कृषि विकास योजना ( Parampragat Krishi Vikasa Yojana)

परंपरागत कृषि विकास योजना ( Parampragat Krishi Vikasa Yojana) को मोदी सरकार ने साल 2015 में शुरू किया था. इसका उद्देश्य आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देना था.

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना ( Pradha Mantri Kishi Sinchai Yojana)

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना ( Pradha Mantri Kishi Sinchai Yojana) की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 1 जुलाई 2015 को की थी. इसके तहत किसानों को सिंचाई के उपकरणों में सब्सिडी प्रदान की जाती है.

राष्ट्रीय कृषि बाज़ार ( Rashtiya Krishi Bazar)

राष्ट्रीय कृषि बाज़ार ( Rashtiya Krishi Bazar) की शुरुआत केंद्र सरकार ने 14 अप्रैल 2016 को की थी. यह एक इलेक्ट्रॉनिक पोर्टल आधारित बाज़ार है. इसके ज़रिये राज्य कृषि उपज मंडियों को एकीकृत किया जाता है.

डेयरी उद्यमिता विकास योजना  ( Dairy Entrepreneurship development Scheme- DEDS)

डेयरी उद्यमिता विकास योजना  ( Dairy Entrepreneurship development Scheme- DEDS) के तहत पशु खरीदने और डेयरी कारोबार के लिए लोन दिया जाता है. लोन नाबार्ड की तरफ़ से दिया जाता है. यदि कोई 10 पशु की डेयरी खोलना चाहता है तो उससे 10 लाख रुपये का लोन दिया जाता है और उस पर 2.50 लाख रुपये की सब्सिडी प्रदान की जाती है.

मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड योजना (Soil Health Card Scheme)

मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड योजना (Soil Health Card Scheme) केंद्र सरकार द्वारा 19 फ़रवरी 2015 में शुरु की गई थी. इसका उद्देश्य किसानों को हर दो साल मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड प्रदान करना है, जिसके माध्यम से किसानों को उर्वरक का छिड़काव करते समय मट्टी हेल्थ का ज्ञात हो सके और किसान उसी के अनुरूप मिट्टी में उर्वरक का छिड़काव करें.

राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (National Mission for Sustainable Agriculture )

राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन(National Mission for Sustainable Agriculture ) की शुरुआत भारत सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान की थी. इसका उद्देश्य भारतीय कृषि को जलवायु अनुकूल उत्पादन प्रणाली में बदलना था.

पशुधन बीमा योजना ( Pashudhan Beema Yojana)

पशुधन बीमा योजना ( Pashudhan Beema Yojana) की शुरुआत 10वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान की गई थी. इसके तहत पशु की मौत हो जाने पर नुकसान की भरपाई सरकार द्वारा की जाती है. इसके तहत किसानों को बिना की प्रीमियम के एक लाख रुपये का बीमा दिया जाता है.

ग्रामीण भंडारण योजना (Gramin Bhandaran Yojana)

भंडारण की कमी से झूझ रहे किसानों को भंडारण की सुविधा देने के उद्देश्य से सरकार ने ग्रामीण भंडारण योजना (Gramin Bhandaran Yojana) की शुरुआत की. इस योजना के तहत किसानों को भंडार घर का निर्माण करने के लिए लोन दिया जाता है साथ ही किसानों को लोन पर सब्सिडी भी दी जाती है.

सूक्ष्म सिंचाई फण्ड (Micro Irrigation fund)

सूक्ष्म सिंचाई फण्ड (Micro Irrigation fund) के लिए सरकार ने नाबार्ड में 5000 करोड़ रुपये का फण्ड निर्धारित किया है.

प्रधानमंत्री कुसुम योजना (PM KUSUM Yojana)

प्रधानमंत्री कुसुम योजना (PM KUSUM Yojana) को सरकार ने साल 2019 में शुरू किया था. इस योजना की मदद से किसान सोलर पंप लगाकर खेतों की सिंचाई कर सकते हैं. सरकार की तरफ़ से इस योजना के लिए 60 फीसदी अनुदान भी दिया जाता है. किसानों को सोलर पंप के लिए 40 फीसदी भुगतान ही करना होता है.

पीएम किसान एफपीओ योजना (PM Kisan FPO Yojana)

पीएम किसान एफपीओ योजना (PM Kisan FPO Yojana) को केंद्र सरकार द्वारा 2020 में शुरू किया गया. यह एक प्रकार का किसान संगठन होता है जो किसानों के हितों के लिए कार्य करता है. इस योजना के तहत संगठनों को 15 लाख रुपये राशि प्रदान की जाती है.

उपरोक्त सभी किसानों के लिए सरकारी योजनाएं थीं जिनका लाभ लेकर किसान अपनी आय दुगनी करने की तरफ़ अग्रसर हो सकता है.

(रजिस्ट्रेशन) जम्मू-कश्मीर आयुष्मान भारत PM JAY सेहत योजना 2021: ऑनलाइन आवेदन, लाभ और पात्रता

जम्मू-कश्मीर आयुष्मान भारत PM JAY सेहत योजना का उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी ने 26 दिसम्बर 2020 को वर्चुअल तरीके से किया. यह योजना प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना के समान्तर चलेगी. आयुष्मान भारत PM JAY सेहत योजना के ज़रिये शेष एक करोड़ लोगों कवर किया जाएगा. जम्मू-कश्मीर देश का पहला राज्य बन गया है जहां इस योजना का लाभ प्रदेश के सभी नागरिकों मिलेगा. आयुष्मान भारत योजना देश के अन्य राज्यों में भी लागू है लेकिन वहां केवल गरीब परिवारों को ही इसका लाभ मिलता है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में हर नागरिक को 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा मिलेगा. यहां के लोगों को इस योजना का लाभ लेने के लिए किसी भी पैमाने से नहीं गुजरना होगा. यहां के लोग जम्मू-कश्मीर आयुष्मान भारत PM JAY सेहत गोल्डन कार्ड के ज़रिये अपना ईलाज करवा सकते हैं. दोस्तों आप इस आर्टिकल के माध्यम से जम्मू-कश्मीर आयुष्मान भारत PM JAY सेहत योजना से जुड़ी सभी जानकारी हासिल कर सकते हैं जिसमें आवेदन, दस्तावेज़, पात्रता शामिल है.

आयुष्मान भारत PM JAY सेहत योजना

SEHAT योजना का मतलब सोशल एंडेवर फॉर हेल्थ एंड टेलीमेडिसिन (Social Endeavour for Health and Telemedicine) है. यह केंद्र शासित प्रदेशों के लिए शुरू की गई स्वास्थ्य बीमा योजना है. इसका उद्देश्य प्रदेश के नागरिकों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है साथ इसके ज़रिये प्रदेश के सभी नागरिकों और समुदायों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं कम पैसे में उपलब्ध होंगी. आयुष्मान भारत PM JAY सेहत योजना जम्मू-कश्मीर के सभी लोगों को मुफ्त बीमा की सुविधा उपलब्ध कराएगी. इसके तहत 5 लाख रुपए बीमा कवर किया जाएगा.यह प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के साथ काम करेगी. इसकी ख़ास बात यह कि इससे देश के किसी भी हिस्से में पोर्टेबल किया जा सकेगा. अभी तक आयुष्मान भारत योजना का लाभ प्रदेश के 6 लाख परिवारों को मिल रहा था लेकिन आयुष्मान भारत PM JAY सेहत योजना का लाभ प्रदेश के 21 लाख से ज़्यादा परिवारों को मिलेगा.

योजना क्या शामिल है

आयुष्मान भारत PM JAY सेहत योजना के तहत प्रदेश के नागरिक 229 सरकारी अस्पताल और 35 प्राइवेट अस्पतालों में मुफ्त ईलाज करवा सकते हैं. यही नहीं प्रदेश के लोग देशभर के किसी भी अस्पताल में सेहत कार्ड के ज़रिये ईलाज करा सकते हैं. इस योजना में ऑन्कोलॉजी, कार्डियोलॉजी, नेफ्रोलॉजी जैसे इलाज प्रक्रियाएं शामिल होंगी.

गोल्डन कार्ड की पात्रता

जम्मू-कश्मीर के सभी लोग आयुष्मान भारत PM JAY सेहत योजना का लाभ उठाने के हक़दार होंगे. प्रदेश का हर व्यक्ति चाहे वह गरीब परिवार, सामान्य परिवार और अमीर परिवार से संबंध रखता हो, अपना ईलाज इस योजना के तहत करा सकता है. प्रदेश का हर नागरिक चाहे वह किसी भी समुदाय से संबध रखता हो इसका लाभ लेने का हक़दार है. प्रदेश का निवासी चाहे उसकी आय कितनी भी क्यों न हो, इसका लाभ के सकता है.

योजना के लिए ज़रूरी दस्तावेज

आयुष्मान भारत PM JAY सेहत योजना का लाभ उठाने के लिए नीचे दिए गए दस्तावेजों का होना ज़रूरी है.

  1. इस योजना का लाभ लेने के पात्र केवल जम्मू-कश्मीर के लोग ही होंगे  
  2. आवेदक जम्मू-कश्मीर का निवासी होना चाहिए
  3. आधार कार्ड
  4. पहचान पत्र
  5. निवास प्रमाण पत्र
  6. बैंक अकाउंट पास बुक
  7. मोबाइल नंबर
  8. पासपोर्ट साइज़ फ़ोटो
योजना क्लेम

इसके तहत क्लेम करने के लिए इसकी ऑफिसियल वेबसाइट  https://pmjay.gov.in/resources/documents विभन्न गाइड लाइन हैं जिन्हें पढ़कर क्लेम किया जा सकता है.

गोल्डन कार्ड बनाने के लिए आवेदन कैसे करें

आयुष्मान भारत PM JAY सेहत योजना कार्ड बनाने के ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है. इसके लिएhttps://pmjay.gov.in/ऑफिसियल वेबसाइट पर आवेदन करें.

जानिए देश के पहले एलोवेरा गावं की कहानी!

हम सभी एलोवेरा के औषधीय गुणों से वाकिफ़ है. आज शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो एलोवेरा के इस्तेमाल की उपयोगिता को नहीं समझता होगा. कोरोना काल में इसकी मांग में भयंकर इजाफ़ा देखने को मिला है. शायद हैंड सैनिटाइजर में इसका इस्तेमाल इसकी एक बड़ी वजह रही होगी. हमारे देश के किसान भी इसकी खेती करने के लिए काफ़ी उत्सुक रहे हैं. वो लगातार इसकी खेती से सम्बंधित जानकारी इन्टरनेट और अन्य समाचार माध्यमों से जुटा रहे हैं. हम आपको इस आर्टिकल की मदद से ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे एलोवेरा गावं के( AloeVera Village) नाम से जाना जाता है.

एलोवेरा गांव

रांची के देवरी गांव को एलोवेरा गांव( AloeVera Village) के तौर पर पहचान मिल गई है. यह देश का पहला एलोवेरा गांव है जहाँ खेतों से लेकर पगडंडियों तक में एलोवेरा उगाया जा रहा है. भारत सरकार ने इसे आत्मनिर्भर भारत(Aatm Nirbhar Bharat) का चैंपियन गांव भी घोषत कर दिया है. इस गांव के लोग पहले धान की खेती करते थे. पहले गांव वालो को धान की खेती से प्रति माह लगभग 3000 रुपये की आमदनी होती थी. अब गांव के लोग नई तरीक़े की खेती से न केवल खुश हैं बल्कि उनकी आमदनी में भी काफ़ी इज़ाफा हो गया है. गांव वाले ख़ुद तो मालामाल हो ही रहे हैं साथ में अन्य लोगों को भी आत्मनिर्भर भारत(Aatm Nirbhar Bharat) का पाठ भी पढ़ा रहे हैं.

प्रधान मंजू कच्छप का रहा योगदान

देवरी गांव को एलोवेरा गांव( AloeVera Village) का दर्जा दिलाने में गांव की प्रधान मंजू कच्छप( Manju Kachhyp) का योगदान सराहनीय रहा. इनकी बदौलत ही गांव के लोग धान की पारंपरिक खेती के बदले एलोवेरा की खेती करने के लिए राजी हुए. दरअसल साल 2018 बिरसा कृषि विश्व विद्यालय की तरफ़ से औषधीय पौधें उगाने की पहल शुरू की गई थी और गांव की किसान और पद में प्रधान मंजू कच्छप (Manju Kachhyp) इस पहल के तहत एलोवेरा उगाने की योजना बनाई. उन्हें विश्व विद्यालय के प्रोफेसर डॉ कौशल ने गाइड करने के साथ-साथ खेती करने के लिए ट्रेनिंग भी प्रदान की. मंजू को इसे उगाने की प्रेरणा अपने घर के गमले में लगाए गए एलोवेरा के पौधे से मिली. उन्होंने देखा इसको तैयार होने में 18 महीनों का वक़्त लगता है और इसके लिए धान जितनी मेहनत भी नहीं करनी पड़ती है. मंजू ने अपने साथ-साथ गांव वालो को इसकी खेती के लिए मना लिए और फिर खेती करने के इच्छुक किसानों को डॉ. कौशल की मदद से ट्रेनिंग दिलवाई. ट्रेनिंग खत्म होने के बाद डॉ कौशल ने सभी गांव वालो को 50-50 एलोवेरा पौधे उपहार स्वरूप दिए. जिसे किसानों ने एक छोटे से खेत में उगाया और अच्छी पैदवार एंव अच्छी आमदनी के कारण किसानों ने इसे अपनी पूरी ज़मीन पर उगाना शुरू कर दिया.

पत्तियों का वजन आधा किलो के बराबर

एलोवेरा को तैयार होने में क़रीब 18 महीने का वक़्त लगता है और इस दौरान इसकी प्रत्येक पत्ती का वजन क़रीब आधा किलो हो जाता है. उत्पाद की गुणवक्ता अच्छी होने के कारण कई आयुर्वेदिक कंपनियां इस गांव के चक्कर लगा चुकी हैं. कंपनियां किसनों के साथ कॉन्ट्रैक्ट भी कर चुकी हैं. अब यहाँ के किसानों को कोलकाता और हजारी बाग़ से डिमांड भी आ रही हैं.

PM Kisan के तहत किसानों के खाते में 18 हज़ार रूपये भेजे गए

प्रधानमंत्री नरेंद मोदी( PM Narendra Modi) ने शुक्रवार को पीएम किसान(PM Kisan) योजना की अगली क़िस्त किसानों के खाते में हस्तांतरित की. पीएम किसान सम्मान निधि( PM Kisan Samman Nidhi) के तहत किसानों के खाते में 18 हज़ार करोड़ रूपये हस्तांतरित किए गए. इससे देश के 9 करोड़ से ज़्यादा किसान लाभावान्वित होंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल तौर पर बटन दबाकर कर पीएम किसान की क़िस्त हस्तांतरित की.

किसान आन्दोलन के बीच पीएम किसान (PM Kisan)की अगली क़िस्त

प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने किसान आन्दोलन के बीच पीएम किसान( PM Kisan) की अगली किस्त किसानों के खाते में भेजी. इस दौरान प्रधानमंत्री ने देश के अलग-अलग कोने से आए किसानों से वर्चुअल संवाद भी किया. पीएम ने देश के 6 राज्यों के क़रीब 9 करोड़ किसानों से वर्चुअल संवाद भी किया. शुक्रवार को किसान आन्दोलन( Kisan Andolan) का 30वां दिन है और इस दौरान केंद्र सरकार द्वारा पीएम किसान की अगली किस्त किसानों के खाते में हस्तांतरित करने को एक मास्टर स्टॉक माना जा रहा है.

पीएम किसान( PM Kisan) का लाभ न देने पर ममता पर हमला

पूरे देश में पश्चिम बंगाल ही एक ऐसा राज्य है जहाँ के किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि( PM Kisan Samman Nidhi) का लाभ नहीं मिलता है. पीएम मोदी ने इस योजना का लाभ बंगाल के किसानों को न देने के लिए ममता बनर्जी को फटकार लगाई. पीएम ने ममता पर हमला करते हुए कहा ‘यदि वो किसानों की इतनी हितेषी होती तो, पीएम किसान योजना से 70 लाख किसानों को वंचित नहीं करती’. वह देश के भोले किसानों भ्रमित कर रही हैं. प्रधानमंत्री ने कहा राजनीति के चलते राज्य के 70 लाख किसानों को इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने ममता पर अपने राज्यों के किसानों की चिंता न करने का आरोप भी लगाया और दूसरे राज्यों के किसानों को भड़काने का आरोप भी.

प्रधानमंत्री ने नये कृषि कानूनों पर किया संवाद

प्रधानमंत्री ने नए कृषि काननों पर देश के किसानों को संबोधित किया. उन्होंने किसानों को नये कृषि कानूनों के लाभ बताये. उन्होंने कहा देश के राजनीतिक दल किसानों के कन्धों पर बन्दूक रखकर अपना हित साधने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि इन तीनों कानूनों से किसानों अपनी आय दुगुना करने में मदद मिलेगी. उन्होंने पिछली सरकारों पर किसानों का शोषण करने का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा यदि पिछली सरकारों को देश के किसानों की इतनी फ़िक्र होती तो वो उनके लिए कुछ न कुछ करते लेकिन वो किसानों को केवल चुनाव के वक्त ही याद करते थे. उन्होंने कहा मोदी सरकार एमएसपी पर फसल की खरीदने में सबसे आगे है. सत्ता में आने के बाद से केंद्र सरकार ने डेढ़ गुना से ज़्यादा एमएसपी पर फसल खरीदी है. पहले की सरकार ने एमएसपी में केवल कुछ ही फसलों को शामिल किया था लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार ने एमएसपी बहुत सी फसलों को शामिल किया है

 

आसान भाषा में जलवायु की परिभाषा जानें

दोस्तों, यदि आप एक छात्र हैं तो आप आसान भाषा में जलवायु की परिभाषा जानें. जब आप इससे बेहतर तरीक़े जान पाएंगे तभी एक बेहतर किसान किसान बन पाएंगे. एक किसान जलवायु को महसूस करता है और इसी के अनुसार अपनी खेती करता है. वैसे कृषि हो या अन्य क्षेत्र सभी के लिए जलवायु का महत्व होता है और जलवायु की परिभाषा जानना न केवल किसान के लिए ज़रूरी है, बल्कि आम नागरिक के लिए भी इस बारे में जानकारी रखना ज़रूरी है. खेती-बाड़ी करने के लिए केवल उत्तम मिट्टी ही सबकुछ नहीं होती है. उत्तम मिट्टी में चाहे आप उत्तम खाद और उत्तम बीज डाल दें, यदि उत्तम जलवायु का उत्तम जलवायु का ज्ञान नहीं होगा तो सब बेकार हो सकता है.

जानें जलवायु की परिभाषा

जलवायु शब्द जल और वायु से मिलकर बना है. इसे उर्दू में आबहवा( Jalvayu in urdu) कहते हैं. आब का अर्थ जल या पानी से है और हवा का सम्बन्ध वायु से है. पानी का सम्बन्ध यहां वर्षा से है और वायु का सम्बन्ध उन हवाओं से है जो हमारे चरों तरफ़ के वातावरण को प्रभावित करती हैं. ये कभी हमारे चारों तरफ़ नमी, तो कभी गर्मी उत्पन्न करती हैं. वर्षा भी कुछ ऐसा ही काम करती है. जिससे हम निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि जलवायु कोई गर्मी और ठंडक देने वाली वस्तु है. इन सभी चीजों का अनुभव हम ख़ुद से करते हैं, लेकिन कुछ ऐसी वस्तुएं या चीज़े होती हैं जिनका अहसास हम स्वयं से नहीं कर पाते हैं. उन्हीं वस्तुओं को जलवायु कहते हैं. सीधे शब्दों में कहे तो किसी स्थान की गर्मी, नमी, सर्दी और वर्षा का मिला जुला प्रभाव ही जलवायु है. जलवायु को इंग्लिश में क्लाइमेट कहते हैं ( Jalvyu in english)

जलवायु और मौसम में अंतर

यदि हम जलवायु की परिभाषा में गढ़ने व्यस्त रह गए तो हमारे हाथ से इसे महसूस करने का मौक़ा छूट जाएगा. अक्सर लोग जलवायु और मौसम को एक ही समझते हैं और मौसम के स्थान पर जलवायु और जलवायु के साथ पर मौसम का प्रयोग करते हैं. जोकि बिल्कुल ग़लत है. इससे न केवल हम ख़ुद भ्रमित होते हैं बल्कि हम दूसरों तक भी ग़लत ज्ञान का संचार करते हैं. मौसम किसी विशेष दिन या स्थिति को दर्शाने के लिए प्रयोग होता है. यह किसी विशेष दिन की गर्मी, नमी, ठंडक और हवा की जानकारी देता है.यदि कई दिन, सप्ताह और महीनों तक तापमान एक जैसा रहता है तो उसे हम ऋतू कहते हैं. इसे एक उदाहरण के ज़रिये समझते हैं. यदि किसी दिन तापमान सामान्य तापमान से नीचे चला जाता और तापमान कई दिन या महीनों तक बढ़ता ही नहीं है या बढ़ता भी तो नाममात्र का, तो हम बोलते हैं ठण्ड या जड़ों के दिन आ गए हैं. ऐसा ही गर्मी में होता है.मौसम हमें एक छोटे समय के तापमान की स्थति ज्ञात करता है जबकि जलवायु लंबे समय में मौसम की स्थिति की जानकारी देती है. हमें लंबे समय तक मौसम का अध्यन करने पर ही जलवायु का सही अंदाज़ा होता है. सीधे शब्दों कहे तो मौसम हमें कई दिन और सप्ताह की घटनाओं एंव तापमान के बारे में जानने के बाद ज्ञात होता है.

सरकार से बातचीत को लेकर किसान संगठन आज करेंगे मीटिंग

केंद्र सरकार ने चिट्ठी लिखकर किसानों से बातचीत की तारीख तय करने को कहा है. सरकार ने किसानों से मीटिंग के लिए अपनी पसंद की तारीख चुनने का आग्रह भी किया है. इसी सिलसिले में आज पंजाब के किसान और राष्ट्रीय किसान संगठन बैठक करेंगे. इस बैठक में सरकार के प्रस्ताव पर अहम फ़ैसला लिया जा सकता है.

बातचीत करनी है या नहीं, फ़ैसला होगा आज

सरकार ने देश के 40 किसान संगठनों को संबोधित करते हुए चिट्ठी लिखी थी और उन्हें बातचीत करने के लिए न्यौता भेजा था. किसान संगठन सरकार के पत्र पर मथन कर आज अहम फ़ैसला ले सकते हैं. ऐसे कयास भी लगाए जा रहे हैं कि यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो, सरकार और किसान संगठनों के बीच 23 दिसम्बर ‘किसान दिवस’ के अवसर पर नए सिरे से बातचीत हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट के द्वारा बातचीत पर जोर दिए जाने के बाद किसान संगठन सरकार के साथ मीटिंग के लिए बाधित हैं. यदि किसान संगठन कोर्ट के फ़ैसले को दरकिनार करते हैं तो उससे एक ग़लत सन्देश लोगों तक जाएगा.

पुराने प्रस्ताव पर ही बात करना चाहती है सरकार

किसान संगठनों का आरोप है कि सरकार पुराने प्रपोजल पर ही बात करना चाहती है. सरकार कृषि कानून में सुझायें गए बिंदुओं पर अडिग है और उन्ही बिन्दुओं को घूमा फिराकर पेश कर रही है, जबकि हम कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. किसान संगठनों का एक जत्था इन कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग कर रहा है. इनमें ज्यादातर पंजाब की जत्थेबंधियां शामिल हैं.

भूख हड़ताल ज़ारी

किसानों ने सोमवार से भूख हड़ताल शुरू कर दी थी. किसान उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली की सीमाओं पर हड़ताल कर रहे हैं. हर दिन 11 किसान 24 घंटे के उपवास पर बैठ रहे हैं वहीं, हरियाणा में 25 से 27 दिसंबर तक टोल फ्री किए जाएंगे.

नौकरी छोड़ साल 2019 में बनाई पशु आहार बनाने की कम्पनी, एक साल में टर्नओवर 60 लाख के पार

दोस्तों, किसी सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले व्यक्ति के लिए नौकरी छोड़ अपना व्यवसाय शुरू करना काफ़ी मुश्किल होता है. नया व्यवसाय शुरू करने में कई जोख़िम होने के साथ ही उसके सफल होने की प्रतिशता भी काफ़ी कम होती है. मध्यप्रदेश के राजगढ़ के रहने वाले विपिन दांगी (Vipin Dangi) ने इसकी चिंता किये बिना साल 2019 में पशु आहार बनाने का व्यवसाय शुरू किया और वो इसे एक साल के भीतर ही सफ़लता की नई ऊंचाइयों तक ले जाने में सफल हुए. आज उनकी कंपनी का टर्नओवर 60 लाख रूपये के आंकड़ें को भी पार कर चुका है. यह सब उन्होंने एक साल के भीतर किया.

आर्थिक तंगी के चलते पढ़ाई के साथ जॉब करनी पड़ी

विपिन दांगी एक किसान परिवार से संबंध रखते हैं. जिस कारण उन्हें आर्थिक तंगी के चलते कॉलेज के दौरान के हॉस्पिटल में जॉब करना पड़ा था. 26 साल के विपिन ने इंदौर से माइक्रोबायोलॉजी में ग्रेजुएशन किया है. कॉलेज पूरा होने के बाद उन्होंने फुल टाइम जॉब करना शुरू किया. तनख्वाह ठीक ठाक होने के बावजूद भी जॉब में मन नहीं लगा और जॉब छोड़ दी. कुछ अपना शुरू करने की ख्वाहिश उन्हें वापस घर ले आई, इस वजह से साल 2018 में वो घर वापस लौट आए.

2 लाख नुकसान उठाना पड़ा

विपिन ने घर वापस लौटने के कुछ महीनों बाद ही ढूध का कारोबार शुरू किया. उन्हें इस काम में लागत के अनुसार मुनाफ़ा नहीं हो रहा था, जिस कारण उन्हें ये कारोबार 1 साल से भी कम वक़्त में बंद करना पड़ा. उन्हें इस कारोबार के चलते 2 लाख रुपये का नुकसान भी उठाना पड़ा. इस कारोबार में सफ़लता न मिलने के बावजूद भी उनका मनोबल टूटा नहीं और वो कुछ नया कारोबार शुरू करने की तरफ़ बढ़ गए.

नया कारोबार शुरू करने से पहले की 6 महीने रिसर्च

पहले कारोबार में असफल होने के बाद विपिन को अच्छे से समझ आ गया था कि उन्होंने कहाँ और क्या गलतियां की हैं. उन्होंने पुरानी गलतियों को दोहराने से बचने की योजना बनाई.अब वो एक अनुभवी कारोबारी की सोच से आगे बढ़ें और नया व्यवसाय शुरू करने से पहले 6 महीने रिसर्च करने में बिताये. उन्होंने 6 महीने इन्टरनेट पर अलग-अलग व्यवसायों के बारे में जानकारी जुटाने में निवेश किए. इसी दौरान उनके दिमाग में आया कि गांव के लोगों के पास पशु तो हैं, लेकिन जानवरों को खिलाने के लिए पौष्टिक आहार की कमी है. बस उन्होंने इस अवसर को सफ़लता में बदलने की ठान ली और उन्होंने पशु आहार बनाने की कंपनी खोलने की योजना बनाई. उनके इस आईडिया को उड़ान तब मिली जब उन्हें पता चला आसपास पशु आहार बनाने की एक भी कंपनी मौजूद नहीं है.

पशु आहार बेचने के लिए मार्कटिंग स्ट्रेटेजी बनाई

विपिन ने साल 2019 में पशु आहार( Pashu Aahar) बनाने की कंपनी तो शुरू कर दी, लेकिन पशु आहार के उत्पादन के बाद उसे किसानों तक पहुंचाने जैसी चुनौती का सामना करना पड़ा. उन्होंने इससे निपटने के लिए मार्केटिंग स्ट्रेटेजी का सहारा लिया. विपिन ने अपनी कम्पनी और पशु आहार को प्रमोट करने के लिए पर्चे छपवाए साथ ही उन्होंने लाउडस्पीकर के ज़रिये भी कम्पनी का प्रचार किया. उनका यह तरीका सफल हुआ और धीरे-धीरे ग्राहक बढ़ने लगे. आज राजगढ़ के आस-पास उनके 3 हज़ार से ज़्यादा रेगुलर कस्टमर हैं.

रोजाना 2 से 3 टन पशु आहार का उत्पादन

विपिन के पशु आहार की मांग इनती बढ़ गई कि उन्हें रोजाना 2 से 3 टन पशु आहार का उत्पादन करना पड़ता है. एक टन पशु आहार बनाने की लागत क़रीब 17 हज़ार रुपये के है और विपिन 1 टन पशु आहार 18 हज़ार रूपये बेच देते हैं. आज उनके साथ 4 और भी लोग काम कर रहे हैं. उन्हें यहां पहुंचने में एक साल लगा. आज वो खुश हैं और अन्य लोगों प्रेरित करने का काम कर रहे हैं.

केंद्र सरकार ने 60 लाख टन चीनी का प्रत्यक्ष निर्यात को मंजूरी दी

केंद्र सरकार ने गन्ना किसानों के लिए खुशखबरी वाले निर्णय लिए है. यह निर्णय केंद्र सरकार ने किसान आन्दोलन के बीच लिए हैं. बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक हुई, जिसमें गन्ना किसानों के हित में कई फ़ैसले लिए गए. कैबिनेट ने 60 लाख टन चीनी निर्यात को मंजूरी दे दी है. सरकार चीनी का प्रत्यक्ष निर्यात करेगी. इससे होने वाली आय को भी सीधे किसानों के खाते में जमा करेगी. केंद्र सरकार निर्यात में सब्सिडी भी देगी. इसकी राशि भी सीधे किसानों के खाते में जाएगी. इससे देश के 5 करोड़ गन्ना किसान लाभावान्वित होंगे. इसकी जानकारी केन्द्रीय सूचना एंव प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने दी.

60 लाख टन चीनी का प्रत्यक्ष निर्यात करेगी केंद्र सरकार

बुधवार को कैबिनेट बैठक में गन्ना किसानों के हित में कई अहम फ़ैसले लिए गए. गन्ना किसानों के लिए खुशखबरी वाले निर्णय हैं. देश में इस साल 310 लाख टन चीनी का उत्पादन होगा, लेकिन देश में चीनी की खपत 260 लाख टन ही है. इसको ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार 60 लाख टन चीनी का प्रत्यक्ष निर्यात करेगी. सरकार ने यह निर्णय देश में चीनी की अधिकता को देखते हुए लिया है. सरकार का कहना है कि देश में चीनी की अधिकता के कारण किसान और चीनी मिलों को नुकसान झेलना पड़ता है. किसान और चीनी मिलों को बाज़ार में इस कारण सही दाम नहीं मिल पाते हैं. सरकार ने चीनी निर्यात पर सब्सिडी देने का निर्णय भी किया है.

18000 करोड़ रुपए सीधे किसानों के खाते में जमा

सरकार चीनी निर्यात से प्राप्त आय को सीधे किसानों के खाते में जमा करेगी. सरकार का अनुमान है चीनी निर्यात से लगभग 18000 करोड़ रुपए की राशि प्राप्त होगी. यह राशि सीधे किसानों के खाते में जमा होगी. सरकार निर्यात पर दी गई सब्सिडी भी सीधे किसानों के खाते में जमा करेगी. सरकार का अनुमान है यह सब्सिडी लगभग 3500 करोड़ रुपए होगी.

घोषित सब्सिडी 5,361 करोड़ रुपए भी किसानों के खाते में जमा

केंद्र सरकार ने पहले से घोषित सब्सिडी भी किसानों के खाते में सीधे जमा करने का वादा किया है. सरकार का कहना है कि पहले से घोषित 5,361 करोड़ रुपए की सब्सिडी की रकम भी सीधे किसानों के खाते में जमा की जाएगी. सरकार यह पैसा एक सप्ताह के भीतर ही जमा कर देगी. किसानों का चीनी मिलों पर कुछ ना कुछ बकाया है उसकी के एवज में सरकार ने सब्सिडी देने का फ़ैसला किया है.

5 करोड़ गन्ना किसानों को होगा लाभ

सरकार के इस फ़ैसले से देश के 5 करोड़ गन्ना किसान और उनके परिवार लाभावान्वित होंगे. यही नहीं इस निर्णय से चीनी मिलों में काम कर रहे 5 लाख मजदूर भी लाभावान्वित होंगे. माना जा रहा है ये फ़ैसले गन्ना किसान और चीनी मिलों को सीधा लाभ देंगे.

जानिए भारत में किस राज्य का किसान सबसे ज़्यादा अमीर है ?

सबसे अमीर किसान देश में किस राज्य का है. यह जानना जरुरी है. हमारे देश के किसान कमाई के मामले में विदेशी किसानों की बराबरी तो नहीं करते हैं, लेकिन भारत के किसान मेहनत करने के मामले में अन्य देशों के किसानों के मकाबले कई आगे हैं. खेती की कम जानकारी, उन्नत्त बीजों के आभाव और विपणन की उचित व्यवस्था न होने के बावजूद भी हमारे अन्नदाता हमारी दूसरे देशों पर निर्भरता कम करने में मदद करते हैं. उनकी बदौलत ही भारत एक कृषि प्रधान देश (agricultural country) है. हमारे देश में किसानों की तुलना शरहद पर देश की रक्षा के लिए जान नौछावर करने वाले जवानों से की जाती है. हमारे देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा देकर किसान और सैनिक को बराबरी का दर्ज़ा दिया था. विश्व में भारत ही एक मात्र ऐसा देश है जहां एक किसान प्रधानमंत्री बनकर देश चलाता है. चौधरी चरण सिंह इसका एक उदाहरण हैं.

सबसे अमीर किसान पंजाब का है

देश में सबसे ज़्यादा आमदनी वाले किसान पंजाब राज्य से आते हैं. पंजाब का किसान सबसे अमीर है यहाँ के किसान देश के अन्य राज्यों की तुलना में कई गुना ज़्यादा कमाते हैं. पंजाब का किसान सालाना औसतन 2,16,708 रुपए कमाता है. यहाँ का किसान प्रति माह 18 हज़ार रुपए से ज़्यादा कमाता है. इसके बाद दूसरे नंबर पर हरियाणा का किसान सबसे अमीर है. यहाँ का किसान की सालाना आय 1,73,208 रुपए है.

जम्मू और कश्मीर का किसान भी कमाई में पीछे नहीं

जम्मू और कश्मीर का किसान भी कमाई के मामले में पीछे नहीं है. यहाँ का किसान पंजाब और हरियाणा के बाद सबसे ज़्यादा अमीर है. कमाई के मामले में तीसरे नंबर पर जम्मू-कश्मीर का किसान है. यहाँ के किसान की सालाना आय लगभग 1,52,196 रुपए के क़रीब है. यहाँ का किसान भी प्रति माह लगभग 13 हज़ार रुपए तक कमा लेता है.

कमाई के मामले में बिहार का किसान सबसे पीछे

बिहार का किसान देश का सबसे गरीब किसान है. यहाँ का किसान सबसे गरीब है. यदि हम सबसे कम आय वाले किसानों के राज्यों की बात करें तो पहले नंबर पर बिहार का नाम आता है. यहाँ औसतन किसान सालाना मात्र लगभग 42,684 रुपए ही कमा पता है. यहाँ का किसान मात्र 4 हज़ार रुपए महिना कमाता है. इसकी वजह कुछ भी हो यहाँ का किसान बाकि राज्यों के किसान से ज़्यादा मेहनत करने के बाद भी बहुत कम कमा पता है.

सबसे अधिक आय वाले राज्यों के किसान

राज्य आय
पंजाब 2,15,708
हरियाणा 1,73,208
जम्मू-कश्मीर 1,52,196
केरला 1,42,668
कर्नाटक 1,05,984
गुजरात 95,112
महाराष्ट्र 88,620
राजस्थान 88,188
तमिलनाडु 83,760

सबसे कम आय वाले राज्यों के किसान

बिहार 42,684
पश्चिम बंगाल 47,760
झारखण्ड56,652
उत्तर प्रदेश 58,944
उड़ीसा 59,712

रणजीत सिंह डिसले: दुनिया के सर्वश्रेष्ठ टीचर का सम्मान हासिल करने वाले पहले भारतीय

हमारे देश में माता-पिता के बाद सबसे ज़्यादा सम्मान गुरु का किया जाता है. इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं विद्यमान हैं, लेकिन हम आपको आज किसी पौराणिक कथा का ज्ञान थोपने नहींजा रहे हैं बल्कि हम आपको कलयुग के एक ऐसे अध्यापक की कहानी बताने जा रहे हैं जिससे दुनिया का सर्वश्रेष्ठ टीचर की उपाधि से नवाजा गया है और उन्हें पुरस्कार के तौर पर 7 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की गई है.

महाराष्ट्र के सोलापुर जिला परिषद स्कूल के एक प्राइमरी टीचर रणजीत सिंह डिसले( Ranjit Singh Disale) ने ग्लोबल टीचर प्राइज ( Global Teacher Prize)जीता है. वह यह पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय हैं. उन्हें पुरस्कार के तौर पर 7 करोड़ रुपए (7 Crore) की धनराशि दी गई है. यह पुरस्कार यूनेस्को और लंदन स्थित वार्की फाउंडेशन द्वारा दिया जाता है. इन पुरस्कार की घोषणा गुरुवार 3 दिसम्बर को की गई थी. इस स्पर्धा में दुनिया के 140 देशों के 12 हज़ार से ज़्यादा टीचर्स से भाग लिया था, लेकिन केवल 10 का चुनाव ही फाइनलिस्ट के तौर पर हुआ था. रणजीत को यह पुरस्कार गर्ल्स एजुकेशन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने और भारत में QR कोड बेस्ड किताबों के अभियान को बढ़ाने के लिए दिया गया.

जानवर बांधने वाली झोंपड़ी को स्कूल में बदला

रणजीत ने टीचिंग की शुरुआत साल 2009 में परितेवाड़ी जिला परिषद स्कूल से की थी. उन्होंने मवेशियों को बांधने वाली जगह को स्कूल में बदला था. उन्होंने प्रशासन और स्थानीय लोगों से मदद की गुहार लगाकर स्कूल को बैठेने योग्य बनाने का काम किया था. इसके बाद रणजीत को स्थानीय लोगों की बेटियों को स्कूल भेजना शुरू करने के लिए भी काफी मसकत करनी पड़ी थी. स्थानीय लोग अपने बच्चे को खेतों में काम करने के लिए भेज देते थे जिससे उनका स्कूल आ पाना मुश्किल था. उन्होंने बच्चों के माँ-पाप को घर-घर जाकर शिक्षा की अहमियत समझाई और तब जाकर बच्चों के घर वाले बच्चों को स्कूल भेजने को राजी हुए. उन्हें बच्चों को 6 महीने तक किताबें नहीं दी ताकि कोई भी बच्चा पढ़ाई में बोरियत का शिकार न हो. उन्होंने बच्चों को मोबाइल और लैपटॉप के माध्यम से कहानी, कविता, गीत सुनाएं और कार्टून की मदद से पढ़ाई करना सिखाया. इससे बच्चों ने धीरे-धीरे स्कूल आना शुरू किया और उनकी नॉलेज में बढ़ोतरी होने लगी. रणजीत अब 87 देशों के 300 स्कूलों में शिक्षा दे रहे हैं.पिछले नौ सालों में रणजीत 12 अंतर्राष्ट्रीय और 7 राष्ट्रीय पुरस्कार जीते चुके हैं.