रणजीत सिंह डिसले: दुनिया के सर्वश्रेष्ठ टीचर का सम्मान हासिल करने वाले पहले भारतीय

0
250

हमारे देश में माता-पिता के बाद सबसे ज़्यादा सम्मान गुरु का किया जाता है. इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं विद्यमान हैं, लेकिन हम आपको आज किसी पौराणिक कथा का ज्ञान थोपने नहींजा रहे हैं बल्कि हम आपको कलयुग के एक ऐसे अध्यापक की कहानी बताने जा रहे हैं जिससे दुनिया का सर्वश्रेष्ठ टीचर की उपाधि से नवाजा गया है और उन्हें पुरस्कार के तौर पर 7 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की गई है.

महाराष्ट्र के सोलापुर जिला परिषद स्कूल के एक प्राइमरी टीचर रणजीत सिंह डिसले( Ranjit Singh Disale) ने ग्लोबल टीचर प्राइज ( Global Teacher Prize)जीता है. वह यह पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय हैं. उन्हें पुरस्कार के तौर पर 7 करोड़ रुपए (7 Crore) की धनराशि दी गई है. यह पुरस्कार यूनेस्को और लंदन स्थित वार्की फाउंडेशन द्वारा दिया जाता है. इन पुरस्कार की घोषणा गुरुवार 3 दिसम्बर को की गई थी. इस स्पर्धा में दुनिया के 140 देशों के 12 हज़ार से ज़्यादा टीचर्स से भाग लिया था, लेकिन केवल 10 का चुनाव ही फाइनलिस्ट के तौर पर हुआ था. रणजीत को यह पुरस्कार गर्ल्स एजुकेशन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने और भारत में QR कोड बेस्ड किताबों के अभियान को बढ़ाने के लिए दिया गया.

जानवर बांधने वाली झोंपड़ी को स्कूल में बदला

रणजीत ने टीचिंग की शुरुआत साल 2009 में परितेवाड़ी जिला परिषद स्कूल से की थी. उन्होंने मवेशियों को बांधने वाली जगह को स्कूल में बदला था. उन्होंने प्रशासन और स्थानीय लोगों से मदद की गुहार लगाकर स्कूल को बैठेने योग्य बनाने का काम किया था. इसके बाद रणजीत को स्थानीय लोगों की बेटियों को स्कूल भेजना शुरू करने के लिए भी काफी मसकत करनी पड़ी थी. स्थानीय लोग अपने बच्चे को खेतों में काम करने के लिए भेज देते थे जिससे उनका स्कूल आ पाना मुश्किल था. उन्होंने बच्चों के माँ-पाप को घर-घर जाकर शिक्षा की अहमियत समझाई और तब जाकर बच्चों के घर वाले बच्चों को स्कूल भेजने को राजी हुए. उन्हें बच्चों को 6 महीने तक किताबें नहीं दी ताकि कोई भी बच्चा पढ़ाई में बोरियत का शिकार न हो. उन्होंने बच्चों को मोबाइल और लैपटॉप के माध्यम से कहानी, कविता, गीत सुनाएं और कार्टून की मदद से पढ़ाई करना सिखाया. इससे बच्चों ने धीरे-धीरे स्कूल आना शुरू किया और उनकी नॉलेज में बढ़ोतरी होने लगी. रणजीत अब 87 देशों के 300 स्कूलों में शिक्षा दे रहे हैं.पिछले नौ सालों में रणजीत 12 अंतर्राष्ट्रीय और 7 राष्ट्रीय पुरस्कार जीते चुके हैं. 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here