नारियल कोपरा| कोपरा का एमएसपी| MSP of Coconut Copra| Copra Price| Copra MSP in 2021| कोपरा किसान | कोपरा क्या है|
दोस्तों, किसान हो या आम नागरिक सभी को नारियल कोपरा क्या है ? यह जानना ज़रूरी है. सरकार समय-समय पर कोपरा के एमएसपी में बढ़ोतरी करती रहती है. केंद्र की मोदी सरकार ने नारियल कोपरा के एमएसपी को बढ़ाने का निर्णय लिया है. यह निर्णय 27 जवनरी 2021 को कैबिनेट की बैठक में लिया गया है. दोस्तों यदि आप नारियल कोपरा का एमएसपी से जुड़ी हर जानकारी को जानना चाहते हैं तो achhifasal.com के लेख को अंत तक पढ़े. इस लेख में आपको नारियल कोपरा के एमएसपी, कोपरा क्या है, और इस्तेमाल कहाँ कहाँ होता है आदि के बारे में बताया जाएगा.
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कोपरा क्या है ? (What is copra)
नारियल के सूखे भाग को कहते हैं, जिसे आमतौर पर गरी या गोला के नाम से जानना जाता है. इसे एक ख़ास प्रक्रिया के बाद ही नारियल से प्राप्त किया जा सकता है.
कोपरा काइस्तेमाल
इसका इस्तेमाल हमारे घरों में अलग-अलग तौर पर किया जाता है. घरों में कोपरा का इस्तेमाल खीर बनाने, हलवा बनाने और ड्राई फ्रूट के तौर पर किया है. कोपरा का उपयोग देश के कई हिस्सों में पूजा हवन-समाग्री में भी किया जाता है.
Copraएमएसपी 2021
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट की बैठक हुई. जिसमें केंद्र सरकार ने नारियल कोपरा के एमएसपी में बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया है. सरकार ने कोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 375 रुपये का इजाफ़ा किया है. यह 2020 में 9960 रुपये प्रति क्विंटल था अब 2021 के सीजन के लिए 10335 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है. कैबिनेट ने गोल कोपरा के एमएसपी में भी 300 रुपये की बढ़ोतरी की है. यह 2020 में 10300 रुपये प्रति क्विंटल था और 2021 सीजन के लिए 10600 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है.
उत्पादन के अखिल भारतीय औसत लागत की तुलना में पिसाई वाले कोपरे के लिए 51.87 प्रतिशत और गोल कोपरे के लिए 55.76 प्रतिशत अधिक मूल्य प्राप्ति सुनिश्चित करते हैं. भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नाफेड) तथा भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) नारियल उत्पादक राज्यों में मूल्य समर्थन परिचालन के लिए केंद्रीय नोडल एजेंसियों की भूमिका निभाती रहेंगी. देश में नारियल के बागान का क्षेत्र 20.82 लाख हेक्टेयर क्षेत्र है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार प्रति हेक्टेयर औसतन 11,505 नारियल का उत्पादन होता है.
आर्गेनिक खेती| Jaivik kheti| जैविक खेती से किसानों में आय में बढ़ोतरी | National Startup Award 2020 | आर्गेनिक मांड्या| Organic Mandya| organicmandya.com |
दोस्तों, इस लेख के माध्यम से हम आपको जैविक खेती से किसानों की आय तीन-चार गुना करने वाले अनोखे स्टार्टअप ‘आर्गेनिक मांड्या’(Organic Mandya) के बारे में बतायेंगे. इस स्टार्टअप को राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार-2020(National Startup Award-2020) से नवाजा जा चुका है. इस लेख में हम आपको आर्गेनिक मंड्या की सफलता की कहानी के साथ-साथ किसानों से जुड़े स्टार्टअप के काम करने के अनोखे तरीक़े से बारे में भी बतायेंगे. यदि आप भी जैविक तरीक़े से खेती कर सफल होना चाहते हैं तो आपसे अनुरोध है इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़े.
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आर्गेनिक मंड्या क्या है ?
यह एक ऐसा स्टार्टअप है जो किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रहा है. यह किसानों को रसायन मुक्त खेती से ज़्यादा से ज़्यादा लाभ अर्जित करने के लिए प्रेरित करता है. मंड्या किसान और उपभोक्ताओं के बीच की खाई को पटाने में भी मदद करता है. आर्गेनिक मंड्या एक अनोखा सुपरमार्किट है, जहां उपलब्ध सामान सीधे किसानों द्वारा पहुंचाया गया हैं.
आर्गेनिक मांड्या कैसे काम करता है
यह किसानों को बिना किसी बिचौलिया की मदद के फसल का दाम प्रदान करता है. किसानों के लिए अपनी फसल को यहां बेचना बहुत ही आसान है. किसान अपने उगाये हुए उत्पाद को आर्गेनिक मांड्या में ले जाता है और वहां अपने सामान को तोलता है और बिना किसी मोल भाव और रूकावट के अपने सामान को बेच देता है. आर्गेनिक मांड्या हाथो हाथ उस सामान के बदले वाजिब दाम किसान को देता है.यह पूरी प्रक्रिया मात्र 6 मिनट के अंदर पूरी हो जाती है, जिस वजह से किसान को अपनी मेहनत की कमाई को हासिल करने में ज़्यादा वक़्त और मेहनत नहीं करनी पड़ती है.
आर्गेनिक मांड्या का उद्देश्य
इसका का उद्देश्य जैविक खेती को बढ़ावा देना है. मंड्या की मदद से न केवल किसानों को उनके उत्पाद का ज़्यादा दाम मिलता है, बल्कि शहरी लोग रसायन मुक्त उत्पादों का उपयोग करने से बचने में भी सफल होते हैं.
आर्गेनिक मंड्या का आईडिया
यह पेशे से आईटी इंजीनियर रहे मधु चन्दन चिक्कादेवय्या के दिमाग की उपज है. दरअसल मंड्या कर्नाटक का एक ज़िला है. मधु चन्दन इसी ज़िले के रहे वाले हैं. मंड्या की गिनती भारत के अमीर जिलों में होती है और इसे ‘शुगर सिटी’ के नाम से भी जाना जाता है जिसको कन्नड़ भाषा में सक्करे नगारा कहते हैं. मधु जब अमेरिका में काम करते थे तो अपने काम के सिलसिले में अकसर बैंगलोर आया करते थे. यहां उन्हें अपने गांव के लोगों से मिलने का मौक़ा मिलता था.
गांव के लोग उन्हें मंड्या के हालातों के बारे में बताया करते थे, जिन्हें सुनकर मधु काफ़ी निराश होते थे. मधु जब उन लोगों से मंड्या छोड़ शहर में नौकरी करने का कारण पूछते, तो लोग उन्हें कर्ज में डूबे किसानों की आत्महत्या की कहानियां सुनाने लगते. इन बातों को सुनकर मंधु के मन में अपने गांव जाने की इच्छा जागी. इसके बाद जब मधु अपने गांव गए तो उन्होंने देखा सभी लोग खेती बाड़ी छोड़ दूसरे कम करने लगे हैं और गांव छोड़ शहरों की तरफ़ भाग रहे हैं. इसके पीछे का कारण जानने के लिए उन्होंने जब जांच पड़ताल शुरू की तो उन्हें पता चला कि किसानों के ऊपर 1200 करोड़ रुपये का कर्ज़ है. उन्हें समझ आ गया था किसान अकसर बीज और रासायनिक खादों के लिए कर्जा लेते हैं. तब उन्होंने सोचा क्यों न किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित किया जाए.
आर्गेनिक मंड्या शुरुआत कैसे हुई
मधु विदेश से वापस लौटकर किसान बनना चाहते थे लेकिन किसानों की दुर्दशा देख उन्होंने किसानों की स्थति सुधारने का निर्णय लिया. इसके बाद सबसे पहले मंधु ने मंड्या के किसानों को कर्ज से मुक्ति दिलाने पर विचार किया और मांड्या आर्गेनिक फार्मर्स को-ऑपरेटिव सोसाइटी का गठन किया.. सोसाइटी से जुड़ने के लिए किसानों को 1000 रुपये का शुल्क अदा करना होता था और इसके ऐवज में किसानों को सोसाइटी का मेम्बर बनाया जाता था. इसके बाद मधु ने किसानों को जैविक खेती करने में आधुनिक तरीकों के बारे में बताया जिससे किसानों को अधिक लाभ मिल सके.
मांड्या आर्गेनिक फार्मर्स को-ऑपरेटिव सोसाइटी का गठन
मधु ने 2014 में मांड्या मांड्या आर्गेनिक फार्मर्स को-ऑपरेटिव सोसाइटी शुरुआत की. इसके ज़रिये मांड्या के किसानो को जैविक खेती से रूबरू कराया गया और यह आश्वासन दिलाया गया कि जैविक खेती के माध्यम से स्वास्थ्य और धन दोनों का लाभ होगा. यह सोसाइटी किसानों को फसल चक्र और मिलकर काम करने जैसी तकनीकों से जैविक खेती करना सीखाती है.
उन्होंने मंड्या को आर्गेनिक बनाने का आईडिया अपने चार आईटी दोस्तों के साथ शेयर किया. उनके दोस्तों को जैविक मंड्या का विचार काफ़ी पसंद आया. इसके बाद उन्होंने अपने दोस्तों एवं पूर्व सहयोगियों की मदद से 1 करोड़ की धन राशि इकट्ठा की. काफ़ी मेहनत करने के बाद भी शुरू में उनसे केवल 270 किसान ही जुड़ें, लेकिन इन किसानों को लाभ होता देख एक साल के भीतर ही यह आंकड़ा 350 के पार पहुंच गया. आज उनके साथ 500 से अधिक किसान जुड़ चके हैं. आज मांड्या के किसान 70 से अधिक किस्मों के उत्पादन कर रहे है जिसमें चावल, दाल, तेल, स्वास्थ्य सामग्री, मसाले के साथ कई अन्य उत्पाद भी शामिल हैं.
मांड्या आर्गेनिक फार्मर्स को-ऑपरेटिव सोसाइटी की अन्य योजनाएं
मांड्या आर्गेनिक फार्मर्स को-ऑपरेटिव सोसाइटी सिर्फ किसानों को ही खेती के नए तौर तरीके से परिचित नहीं करता बल्कि खेती से वंचित लोगो को भी जैविक खेती फायदों से रूबरू कराता है और इस प्रक्रिया को 2 भागों में बांटा गया है
(i) फार्म शेयर- इस योजना के तहत किसान अपने खेतों को तीन महीने के लिए किराए पर देते है जिसके बदले 35,000 का शुल्क निर्धारित किया गया है. जिस व्यक्ति को भी खेत किराए पर दिया जाता है वह खेत में जैविक उत्पाद उगाता है. फसल तैयार होने के बाद व्यक्ति की मर्जी होती है कि उसे अपनी फसल आर्गेनिक मांड्या में बेचनी है या खुद इस्तेमाल करनी है.
(ii) टीम फार्म- इस योजना में कोई भी संगठन अपने कर्मचारियों को एक दिन के लिए मांड्या में होने वाली जैविक खेती से रूबरू करा सकता है साथ ही कुछ ग्रामीण खेलों का आयोजन भी किया जाता है जिसमें कबड्डी, गिल्ली-डंडा जैसे खेल शामिल हैं. इस योजना का लाभ उठाने के लिए मात्र 1300 रूपये शुल्क देना पड़ता है. उम्मीद है आर्गेनिक मंड्या की कहानी ने आपको जैविक खेती करने के लिए प्रेरित किया होगा.
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दोस्तों, इस लेख के माध्यम से आपको हरियाणा सरकार की महत्वकांक्षी योजना Meri fasal Mera Byora के बारे में समस्त जानकारी मुहैया होगी. मेरी फसल मेरा ब्यौरा योजना को हरियाणा सरकार द्वारा शुरू किया गया था. ये योजना हरियाणा और आसपास के राज्यों के किसान भाइयों के लिए है. Achhifasal.com के माध्यम से आपको मेरी फसल मेरा ब्यौरा से जुड़ी निम्न जानकारियां हासिल होंगी. जैसे कि मेरी फसल मेरा ब्यौरा योजना क्या है, योजना का लाभ कैसे लें, योजना का उद्देश्य क्या है, Meri Fasal Mera Byora Registration कैसे करें, इसकी पात्रता क्या है आदि के बारे में बताया जाएगा. आपसे अनुरोध है कि योजना के बारे में सबकुछ जानने के लिए लेख को अंत तक पढ़ें.
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Meri Fasal Mera Byora
मेरी फसल मेरा ब्यौरा योजना को हरियाणा के 10वें मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा शुरू किया गया है. इस योजना को 5 जुलाई 2019 को शुरू किया गया था. इसके अंतर्गत किसान भाई मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर फसल सम्बन्धी सभी सूचनाएं अपलोड कर सकते हैं. पोर्टल पर सूचनाएं अपलोड करने के बाद किसान भाइयों को खेती-किसानी से जुड़ी राज्य की सभी सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा. इसमें किसान अपनी ज़मीन का ब्यौरा देता है और इसी आधार पर उसकी फसल उपज की कीमत तय होती है. इसका लाभ लेने के लिए किसानों को योजना के आधिकारिक पोर्टल पर जाना होगा. पोर्टल के माध्यम से हरियाणा के किसानों को एक ही स्थान पर सभी जानकारी हासिल होंगी.
मेरी फसल मेरा ब्यौरा पर रजिस्ट्रेशन के लिए अब परिवार पहचान-पत्र ज़रूरी
खट्टर सरकार ने मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रबी की फ़सलों के रजिस्ट्रेशन के लिए परिवार पहचान-पत्र अनिवार्य कर दिया है. यह, सरकार की मेरी फसल मेरा ब्यौरा योजना के अंतर्गत साल 2021 की सबसे बड़ी और नई घोषणा है. मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रबी की फ़सलों के लिए 16 जनवरी 2021 से पंजीकरण शुरू कर दिए गए हैं. किसानों द्वारा अपने कृषि प्रोडक्ट्स को मंडी में बेचने के लिए पोर्टल में रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है. किसान भाई इस पोर्टल पर पंजीकरण कराने के बाद ही कृषि या बागवानी विभाग से संबधित योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं. यह पंजीकरण कॉमन सर्विस सेंटर के ज़रिये भी कराया जा सकता है.
Meri Fasal Mera ब्यौरा 2021
सरकारी योजना का नाम
मेरी फसल मेरा ब्यौरा, हरियाणा
शरू की गई
हरियाण के सीएम मनोहर लाल खट्टर
विभाग
किसान एंव कृषि मंत्रालय हरियाणा
उद्धेश्य
फसल और किसान का पंजीकरण (Kisan Panjikaran)
लाभार्थी (beneficiary)
राज्य के किसान भाई
ऑफिसियल वेबसाइट
https://www.fasalhry.in/
meri fasal mera byora last date for registration
7 April 2021
आवेदन की प्रक्रिया
ऑनलाइन
मेरी फसल मेरा ब्यौरा के अंतर्गत कृषि यंत्रों पर सब्सिडी लेने के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
खट्टर सरकार ने 11 जनवरी 2021 से कृषि यंत्रों पर मिलने वाले अनुदान के लिए पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है. कोई भी किसान भाई यदि हरियाणा सरकार की स्कीम के तहत कृषि यत्रों पर अनुदान चाहता है तो उसे अब मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है. यह साल 2020-21 में फसल अवशेष प्रबन्धन एवं अन्य स्कीमों के तहत कृषि यंत्रों का भौतिक सत्यापन करा चुके किसान और जिनका पंजीकरण किसी कारण छूट गया था, दोनों के लिए अनिवार्य है.
किसान भाई पंजीकरण कराने के लिए जल्द से जल्द मेरी फ़सल मेरा ब्यौरा के पोर्टल पर जाए और पंजीकरण कराए. पंजीकरण की प्रक्रिया 11 जनवरी 2021 से शुरू हो चुकी है. यदि कोई किसान फसल और कृषि यंत्रों का पंजीकरण कराने के उपरांत सम्बंधित कागजात कार्यकाल में जमा कराने में असमर्थ होता है तो उसका अनुदान केस निरस्त माना जाएगा. इसके बाद कोई भी दावा मान्य नहीं होगा.
हरियाण सरकार ने तय किए 2021 रबी फसलों के दाम
हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल की मौजूदगी में रबी की फ़सलों के दाम सुनिश्चित किए गए. हरियाणा सरकार ₹1975 प्रति क्विंटल के एमएसपी पर 80 लाख मैट्रिक टन गेहूं खरीदेगी. खट्टर सरकार ₹4650 प्रति क्विंटल एमएसपी पर आठ लाख मैट्रिक टन सरसों, ₹5100 प्रति क्विंटल एमएसपी पर सरकार 11 हजार मैट्रिक टन चना और ₹5885 प्रति क्विंटल एमएसपी पर खट्टर सरकार 17 हजार मैट्रिक टन सूरजमुखी खरीदेगी. हरियाणा सरकार ने गेंहू खरीदने के लिए 389 मंडियां, सरसों के लिए 71, चने के लिए 11 और सूरजमुखी के लिए 8 मंडियों की स्थापना की योजना भी बनाई है.
फसल
दाम
गेंहू
₹1975 प्रति क्विंटल के एमएसपी
सरसों
₹4650 प्रति क्विंटल एमएसपी
चना
₹5100 प्रति क्विंटल एमएसपी
सूरजमुखी
₹5885 प्रति क्विंटल एमएसपी
रबी की फसलों के दाम
Haryana Meri Fasal Mera Byora Registration2021
राज्य के जो भी लाभार्थी अपनी फ़सलों, खेत का ब्यौरा और किसान पंजीकरण करना चाहते हैं वो योजना की ऑफिसियल वेबसाइट fasal.haryana.gov.in पर जाकर करा सकते हैं. Haryana Meri Fasal Mera Byora 2021 के लिए हरियाण सरकार ने ऑनलाइन आवेदन स्वीकारने शुरू कर दिए हैं. मेरी फसल मेरा ब्यौरा ऑनलाइन पोर्टल के तहत किसानों को लाभ दिए जाते हैं और ये लाभ हरियाणा सरकार सीधे लाभार्थियों को देती है. राज्य सरकार ने किसानों को पंजीकरण करने का एक मौक़ा और दिया है. राज्य के जिन भी किसान भाइयों का रजिस्ट्रेशन रह गया था वो आने वाले 5 और 6 अप्रैल को पुनः पंजीकरण करवा सकते हैं.
मेरी फसल मेरा ब्यौरा योजना का उद्देश्य
इस योजना का उद्देश्य राज्य के किसानों को एक स्थान पर कृषि संबधित सभी सुविधाएं उपलब्ध कराना है. जिसमें खेत और फसल का ब्यौरा, किसान और फसल का पंजीकरण शामिल है. इसके ज़रिये किसानों की समस्याओं का निवारण भी संभव है. इसका मकसद किसानों को खाद्य ,बीज ,ऋण व कृषि उपकरणों की सब्सिडी भी समय पर उपलब्ध करवाना है. इस प्लेटफार्म के ज़रिये किसानों को फसल की बिजाई-कटाई के समय व मंडी सम्बंधित जानकारी भी उपलब्ध कराई जाएगी. प्राकृतिक आपदा-विपदा के दौरान सही समय पर सहायता प्रदान करना भी इसका एक उद्देश्य है.
मेरी फसल मेरा ब्यौरा 2021 से लाभ या फ़ायदा
प्राकृतिक आपदाओं से फसल को क्षति होने पर मुआवजा मिलेगा
किसानों को एकीकृत प्लेटफार्म प्रदान करना जहां समस्या और सुविधा दोनों का समाधान हो सके
किसानों को विभिन्न योजनाओं के लिए आर्थिक सहायता मिलेगी
खाद्य, बीज, ऋण और कृषि उपकरण पर सब्सिडी मिलेगी
कृषि संबधित सभी जानकारियां एक ही स्थान पर प्राप्त होगी
मंडी सम्बंधित जानकारियां प्राप्त होंगी
Meri Fasal Mera Byora 2021 का लाभ लेने के लिए पात्रता और ज़रूरी दस्तावेज
आवेदक हरियाणा का स्थायी निवासी होना चाहिए
परिवार पहचान-पत्र
आवेदक का आधार कार्ड
निवास प्रमाण पत्र
पहचान पत्र
मोबाइल नंबर
ज़मीन के कागज़ात
पासपोर्ट साइज फोटो
रेवेन्यू रिकॉर्ड के नकल की कॉपी, खसरा नंबर देख कर भरना होगा
पंजीकरण से सम्बंधित ज़रूरी बातें
आधार संख्या में 12 अंक होने अनिवार्य
मोबाइल नंबर 10 नंबर का होना अनिवार्य
पंजीकरण सम्बंधित जानकारी SMS द्वारा प्राप्त होगी
पंजीकरण सम्बंधित दस्तावेज रखने अनिवार्य
बैंक पास बुक की फ़ोटो कॉपी अपने पास रखना अनिवार्य
Meri Fasal Mera Byora 2021 के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे करें
सबसे पहले आपको Meri Fasal Mera ब्यौरा की official वेबसाइट पर जाए. https://fasal.haryana.gov.in/
इसके बाद आपको पंजीकरण क्लिक करें का आप्शन शो होगा और उस पर क्लिक करें
इस आप्शन पर क्लिक करने के बाद एक नया पेज खुलेगा, उस पेज पर अपना मोबाइल नंबर डालना होगा और फिर ज़ारी के बटन पर क्लिक करना होगा
इसके बाद पेज में लिखी हुई सारी जानकारी भरनी होगी
फिर सर्च बटन पर क्लिक करना होगा जिसके बाद OTP आपके नंबर पर जाएगा और OTP को भरने के बाद पंजीकरण का फॉर्म खुल जाएगा
तत पश्चात् पेज में चार चरण शो होंगे उन्हें भरना होगा
Meri Fasal Mera Byora 2021 रजिस्ट्रेशन फॉर्म प्रिंट कैसे करें
सबसे पहले ऑफिस वेबसाइट https://fasal.haryana.gov.in/farmer/farmerhome जाएं
साइड दायें हाथ की तरफ़ दो बॉक्स दिखाई देंगे
पहला किसान अनुभाग और दूसरा अधिकारी अनुभाग
किसान अनुभाग पर क्लिक करें
इसके बाद नया पेज खुल जाएगा
फिर हरियाणा के किसान वाले टाइटल का दूसरा बॉक्स पंजीकरण प्रिंट(हरियाणा) पर क्लिक करें
क्लिक करते ही नए पेज खुलेगा और उस पेज में पूछी गई सारी जानकारी भर दें
और अंत में प्रिंट करें पर क्लिक करें
प्रिंट लेने के लिए लैपटॉप या कंप्यूटर प्रिंटर से जुड़ा होना ज़रूरी या उसे PDF में डाउनलोड करें
दोस्तों हम सभी एलोवेरा के औषधीय गुणों से भली-भांति परिचित हैं. आज एलोवेरा का प्रयोग दवाई बनाने से लेकर सभी तरह हर्बल प्रोडक्ट के निर्माण में किया जा रहा है, लेकिन क्या आपने एलोवेरा से बनने वाली बैटरी सेल के बारे में सुना है ? .आज हम आपको अच्छी फसल के माध्यम से एलोवेरा से बनने वाली इको फ्रेंडली बैटरी और इसे विकसित करने वाले युवाओं के बारे में बतायेंगे. इस लेख के माध्यम से हम आपको एलोवेरा के वानस्पतिक नाम से लेकरएलोवेरा से बैटरी विकसित करने की विधि तक बतायेंगे. आपसे अनुरोध है कि एलोवेरा से जुड़ी जानकारी हासिल करने के लिए इस लेख को अंत तक पढ़ें.
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एलोवेरा का हिंदी नाम
हम सभी ने एलोवेरा के बारे में सुना है, लेकिन इसे हिंदी में किस नाम से पुकारते हैं. इस बारे में कम ही लोगों को पता होता है. औषधीय गुण वाले एलोवेरा को हिंदी में घृतकुमारी और ग्वारपाठा के नाम से पुकारा जाता है. यह लिली परिवार का सदस्य है जिसमें खनिज़, लवण और विटामिन भरपूर मात्र में होते हैं. एलोवेरा से कई अविश्वसनीय स्वास्थ्य लाभ होते हैं जिस कारण एलोवेरा को दुनिया भर में खूब इस्तेमाल किया जाता है.
एलोवेरा से इको फ्रेंडली बैटरी सेल
दोस्तों, राजस्थान के बूंदी गांव के रहने वाले निमिशा वर्मा और नवीन सुमन एलोवेरा के उपयोग एक क़दम और आगे लेकर चले गए हैं. इन दोनों ने एलोवेरा की क्षमता को पहचान कर इससे इको फ्रेंडली बैटरी सेल विकसित किया है. इन्होंने एलोवेरा से इलेक्ट्रोलाइट तैयार कर बैटरी सेल बनाया है. इलेक्ट्रोलाइट का ही प्रयोग सेल को ऊर्जावान बनाने के लिए किया जाता है, लेकिन इन्होंने प्राकृतिक तरीक़े से इसे तैयार किया है. यह सेल 99 फ़ीसदी इको फ्रेंडली है और ब्लास्ट भी नहीं होता है. दोनों ने 1.5 वोल्ट के सेल का नाम एलोई ई-सेल रखा है.
कैसे आया इको फ्रेंडली बैटरी सेल बनाने का आईडिया
राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी से बीटेक करने के बाद निमिशा ने अपना स्टार्टअप करने का सोचा. उन्हें इसके लिए अपशिष्ट प्रबंधन (वेस्ट मैनेजमेंट) विषय बेहतर लगा. 2017 में अपशिष्ट प्रबंधन में रिसर्च के दौरान निमिशा और नवीन को पता चला कि भारत में जितना भी इलेक्ट्रिक वेस्ट उत्पन्न होता है उसका एक बड़ा भाग ड्राई सेल बैटरी से आता है. ड्राई सेल बैटरी पर्यावरण को प्रदूषित करने के साथ ही आसानी से नष्ट भी नहीं होती हैं. इन बैटरीज के माध्यम लीवर और किडनी की बीमारियां होने के चांस काफ़ी बढ़ जाते हैं. तब दोनों के दिमाग में इको फ्रेंडली बैटरी बनाने का ख्याल आया और देश में प्रदूषण कम करने में अपना योगदान देने के लिए दोनों ने अपना स्टार्टअप शुरू करने का फैसला किया.
कई फल सब्जियों पर किया प्रयोग
निमिशा और नवीन ने अपने आईडिया को धरातल पर उतार ने लिए अलग-अलग फल-सब्जियों पर प्रयोग करना शुरू किया. उन्होंने पहले नीबू, आलू, बैगन से बैटरी बनाई लेकिन अधिक पतला होने के कारण ज़्यादा देर तक बैटरी चल नहीं पाई. इसके बाद दोनों ने केले, पपीते और चावल के पेड़ पर प्रयोग किए, लेकिन उनके ये प्रयोग भी असफल हुए. काफ़ी वक्त तक सफलता हाथ न लगने के बाद भी दोनों ने इको फ्रेंडली बैटरी सेल बनाने के आईडिया को त्यागा नहीं. दोनों लगातार अलग-अलग चीजों पर प्रयोग करते रहे. अंत में दोनों एलोवेरा तक पहुंच गए.
एलोवेरा से इको फ्रेंडली बैटरी सेल बनाने की विधि
एलोवेरा से इको फ्रेंडली बैटरी सेल बनाने के लिए पहले एलोवेरा को पेड़ से तोड़ लिया जाता है, फिर इसे साफ़ तरीक़े से धोया जाता है इसके बाद एलोवेरा का रस निकालकर, रस को पतला किया जाता है. आगे एलोवेरा के रस में बराबर मात्रा में नीबू का रस आदि मिलाया जाता है, फिर मिश्रण में कॉपर और जिंक मिलाकर उसे बैटरी में बंद कर लेते हैं. इसके बाद एलोई ई-सेल का टैग लगाकर उसे लीक प्रूफ बैटरी का रूप देते हैं. निमिशा और नवीन पैसों की कमी के चलते इस काम को अपने हाथों से ही करते हैं जिस कारण उन्हें एक बैटरी सेल बनाने में 20 से 25 मिनट लगते हैं. यदि बैटरी को मशीन से बनाया जाएगा तो समय की 97 फ़ीसदी बचत होगी.
प्रदूषण में 70% से ज़्यादा कमी आ सकती है
एलोवेरा निर्मित बैटरीज से प्रदूषण में 76.1% तक की कमी आ सकती है. इनके उपयोग से किसानों को रोजगार भी मिलेगा और देश का 109 मिलियन डॉलर भी बचेगा. किसान 2 एकड़ ज़मीन से लाख रुपये प्रति फ़सल तक कमा सकते हैं. इन बैटरीज के इस्तेमाल से भारत की आर्थिक स्थिति में 78% सुधार आ सकता है. सबसे ख़ास बात बैटरीज के उपयोग से होने वाली बीमारियों में 98% तक की कमी आ सकती है.
कहां-कहां एलोवेरा निर्मित बैटरीज का इस्तेमाल कर सकते हैं
मोबाइल की बैटरी में लिथियम ऑयन का इस्तेमाल होता है, यदि उसमें एलोवेरा का इस्तेमाल किया जाए तो 70% तक लिथियम ऑयन के इस्तेमाल में कमी लाई जा सकती है. एलोवेरा से बनी बैटरी को टीवी के रिमोट, घड़ी और खिलौनों आदि में इस्तेमाल किया जा सकता है. एलोवेरा निर्मित बैटरीज अन्य के मुक़ाबले काफ़ी ज़्यादा सस्ती और अधिक चलने वाली हैं. इनके 0% प्रदूषण और 0% विस्फोट होने के चांस हैं.
गो ग्रीन इन दि सिटी प्रतियोगिता
निमिशा और नवीन का स्टार्टअप दुनिया के 8 सबसे इनोवेटिव स्टार्टअप्स में भी सुमार हो चुका है. दोनों को साल 2019 में गो ग्रीन इन दि सिटी प्रतियोगिता के लिए भी आमंत्रित किया गया था. यह प्रतियोगिता स्पेन के बार्सेलोना शहर में सम्पन्न हुई थी. वहां भी दोनों का स्टार्टअप विजेता रहा. दोनों की प्रगति को देखते हुए यूएस एम्बेसी ने इन्हें इनक्यूबेट करने का निर्णय लिया. दोनों अपने इनोवेटिव आईडिया की वजह से ग्लोबल इंटेपरेनुरशिप, बूटकैम्प थाईलैंड और ग्रीन एनर्जी कांग्रेस स्पेन में राष्ट्रीय विजेता रहे. इसकी बैटरी iso 9001:2015 और Iso 14001:2015 सर्टिफाइड हो चुकी है. उम्मीद की जा रही है दोनों का यह आईडिया जल्द ही रफ़्तार पकड़ेगा और जिसकी बाज़ार में जबरदस्त मांग भी होगी.
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दोस्तों पीएम फसल बीमा योजना क्या है जानना बहुत जरूरी है इसको जानें बिना हम इसका लाभ नहीं ले सकते हैं.किसानों को खेती करने के दौरान कई प्रकार की आपदाओं और फसल नुकसान/क्षति का सामना करना पड़ता है. इसी क्षति को कम करने के लिए मोदी सरकार ने (PMFBY) पीएमएफबीवाई को शुरू किया था. (PMFBY) पीएमएफबीवाईका क्लेम कर किसानों को खेती में होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सकती है. आज हम आपको इस लेख के माध्यम से Pm Fasal Bima Yoajana से जुड़ी सभी जानकारियां मुहैया करायेंगे. जैसे कि Pradhanmantri Fasal Bima Yoajna Kya hai या (PMFBY) पीएमएफबीवाई क्या है, पीएमएफबीवाई पोर्टल(PMFBYPortal) क्या है ये कैसे काम करता है, PMFBY की गणना कैसे करें, इसकी पात्रता क्या है, इसका लाभ लेने के फॉर्म कहाँ से डाउनलोड करें आदि. आपसे विनम्र अनुरोध है कि PMFBY और खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी हासिल करने के लिए ये लेख अंत तक पढ़े.
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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना क्या है ?
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना मोदी सरकार द्वार किसानों की समृधि के लिए चलाई जा रही महत्वाकांक्षी बीमा योजना है जिसमें किसनों को फ़सलों को ख़राब मौसम से बचाने के लिए प्रीमियम जमा करना होता है.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
Pradhan mantri Fasal Bima Yojana किसानों को प्राकृतिक आपदाओं जैसे वर्षा, सूखा, तूफान, बाढ़, ओलावृष्टि से होने वाली क्षति के ऐवज में बीमा के ज़रिये सुरक्षा प्रदान करती है. Pradhan mantri Fasal Bima Yojana किसानों पर बीमा के प्रीमियम के अतिरिक्त बोझ को कम करने में मदद भी करती है. Pradhanmantri Fasal Bima Yojana के अंतर्गत ऋण लेने पर किसान को ख़राब मौसम की मार नहीं झेलनी पड़ती है. इसका प्रबंधन और प्रशासन कृषि एंव किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा किया जाता है.
PMFBY किसने शुरू की
13 जनवरी 2016 को मोदी सरकार की कैबिनेट बैठक हुई थी जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी. इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएमएफबीवाई का अनावरण कर इसे शुरू किया था.
केंद्र सरकार ने पीएमएफबीवाई के लिए 16 हज़ार करोड़ रुपये आवंटित किए | New Update Pradhan Mantri fasal Bima yojana 2021 in hindi
केंद्र सरकार किसानों की फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है
इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ के लिए 16000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए इस राशि का प्रावधान किया है
केंद्र सरकार के द्वारा वित्त वर्ष 2020-21 की तुलना में इस वित्त वर्ष में लगभग 305 करोड़ रुपये का इजाफ़ा किया गया है
यह योजना बुवाई चक्र के पूर्व से लेकर फसल की कटाई के बाद तक के लिए सुरक्षा प्रदान करती है
जिसमें फसल सत्र के मध्य में प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान के लिए सुरक्षा प्रदान करना भी शामिल है
पीएमएफबीवाई विश्व स्तर पर किसान भागीदारी के मामले में सबसे बड़ी फसल बीमा योजना है
पीएमएफबीवाई विश्व स्तर पर प्रीमियम के मामले में तीसरी सबसे बड़ी योजना है
पीएमएफबीवाई के लिए प्रतिवर्ष 5.5 लाख से अधिक किसान आवेदन करते हैं
इस योजना के तहत नामांकित कुल किसानों में से 84% छोटे और सीमांत किसान हैं
Pradhanmantri Fasal Bima Yojana Portal Kya hai ?
(PMFBY) पीएमएफबीवाई पोर्टल को मोदी सरकार द्वारा किसानों को फसल बीमा योजना का क्लेम करने में मदद करने और बीमा तक हर किसान की पहुंच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शरू किया गया था. पीएमएफबीवाई( PMFBY) पोर्टल एक ऑनलाइन प्लेटफार्म है जहाँ किसान भाई अपने फसल बीमा के क्लेम की गणना, फसल क्षति सम्बंधित राज्य के अधिकारी को बता सकने के साथ ही बीमा का स्टेटस भी चेक कर सकते हैं.
पीएम फसल बीमा योजना का उद्देश्य
प्राकृतिक आपदाओं, कीट से होने वाले नुकसान, और किसी रोग के कारण फसलों को होने वाले नुकसान की स्थिति में किसानों को बीमा कवरेज और वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है.
किसानों को कृषि क्षेत्र में नई, आधुनिक और अत्याधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करना है
कृषि क्षेत्र में ऋण के प्रवाह को बरकार और सुनिश्चित रखना है
किसानों की आय को सुनिश्चित करना और कृषि का सतत विकास करना है
पीएम फसल बीमा योजना के अंतर्गत प्रीमियम का भुगतान
पीएम फसल बीमा योजना के अंतर्गत प्रीमियम का भुगतान फ़सलों के सीजन के अनुसार निर्धारित किया गया है. किसानों को खरीफ़ और रबी दोनों ही सीजन की फ़सलों में प्रीमियम का भुगतान करना होता है. किसानों को सभी खरीफ़ की फ़सलों के लिए 2 फीसदी और सभी रबी की फ़सलों 1.5 प्रतिशत प्रीमियम का भुगतान करना होता है. किसानों को वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिए केवल 5% प्रीमियम का भुगतान करना होता है.
फसल
प्रीमियम
रबी
1.5 प्रतिशत
खरीफ़
2 प्रतिशत
वाणिज्यिक और बागवानी फसल
5 प्रतिशत
पीएम फसल बीमा योजना के अंतर्गत प्रीमियम की भुगतान की दर
पीएम फसल बीमा योजना के अंतर्गत कवर होने वाली फसलें
केंद्र सरकार पीएम फसल बीमा योजना के अंतर्गत खरीफ़ और रबी की फ़सलों को कवर कर रही है. खरीफ़ और रबी की खाद्य फसल जैसे अनाज, बाजरा और दालें, तिलहन और वार्षिक वाणिज्यिक/वार्षिक बागवानी की फसलें भी इसके तहत कवर की जाती हैं.
PMFBYकिस तरीके के नुकसान को कवर किया है
बुवाई और रोपण से संबधित नुकसान को कवर किया जाता है. किसान के बीमित क्षेत्र में कम बारिश और प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों के कारण बुवाई और रोपण में अवरोध उत्पन्न होने की स्थति में PMFBY द्वारा कवर किया जाएगा और भरपाई की जाएगी
खड़ी फसल में बुवाई से कटाई तक कवर किया जाएगा और भरपाई की जाएगी
इसमें नहीं रोके जा सकने वाले जोख़िम और आपदाएं जैसे सूखा, अकाल, बाढ़, सैलाब, कीट एवं रोग, भूस्खलन, प्राकृतिक आग और बिजली, तूफान, ओले, चक्रवात, आंधी, टेम्पेस्ट, तूफान और बवंडर आदि के कारण उपज के नुकसान को कवर करने के साथ भरपाई भी जाएगी
इसमें कटाई के उपरांत नुकसान को भी कवर किए जाने के साथ नुकसान की भरपाई भी की जाएगी
फसल कटाई के बाद चक्रवात और चक्रवाती बारिश और बेमौसम बारिश से होने वाले नुकसान को भी कवर किया जाता है लेकिन किसान को इस स्थिति में केवल दो सप्ताह की अविधि के लिए ही कवरेज मिलेगा यानि केवल 14 दिन तक ही इसकी भरपाई के लिए पैसा मिलेगा.
फसल बीमा के अंतर्गत बीमित राशि
PMFBY के अंतर्गत पहले प्रति हेक्टेयर 15,100 रुपए की राशि सुनिश्चित की गई थी, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने इसे बढ़ाकर 40,700 रुपये प्रति हेक्टेयर कर दिया है. इसमें बोआई से पूर्व चक्र से लेकर कटाई के बाद तक फसल के पूरे चक्र को शामिल किया गया है.
पीएम फसल बीमा योजना के अंतर्गत क्लेम करने की अवधि
PMFBY का लाभ लेने के लिए किसान को नुकसान की खबर बीमा कम्पनी को 72 घंटो के भीतर देनी होगी. ऐसा न करने की स्थिति में पीड़ित किसान को बीमा कंपनी से क्लेम लेने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. यदि किसी किसान को फसल कटाई के बाद नुकसान हुआ है और उसे नुकसान खेत में 14 दिनों तक पड़ी फसल पर होता है और फसल को बेमौसम बारिश या ओले गिरने से नुकसान हुआ हो तो उसे 3 दिन के भीतर PMFBY के लिए क्लेम करना होगा. यदि कोई किसान ऐसा नहीं करता है तो वह इंश्योरेंस क्लेम के हकदार नहीं माना जाएगा.
हर साल 5.5 करोड़ किसान करते हैं अप्लाई
इस योजना के लिए प्रतिवर्ष 5.5 किसानों के आवेदन आते हैं. इस योजना के तहत अब तक 90,000 करोड़ दावों का भुगतान किया जा चुका है. कोविड लॉकडाउन के दौरान लगभग 70 लाख किसानों को इसका लाभ मिला है और इस दौरान 8741.30 करोड़ रुपये के दावे लाभार्थियों के खातों में ट्रांसफर किए गए.
पीएमएफबीयाई के 5 साल पूरे
पीएमएफबीयाई को 13 जनवरी साल 2021 में 5 साल पूरे हो गए हैं. 13 जनवरी 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने इसका अनावरण किया था.
पीएम फसल बीमा योजना का लाभ लेने के क्लेम की जानकारी किसे दें
किसान फसल नुकसान की जानकारी इंश्योरेंस कंपनी, बैंक या फिर राज्य सरकार के अधिकारी को दें.
किसान 72 घंटे के अंदर टोल फ्री नंबर 18002005142 या फिर 1800120909090 पर या बीमा कंपनी और कृषि विभाग विशेषज्ञ को इसकी जानकारी दें.
नुकसान की जानकारी बीमा कंपनी तक पहुंचने के बाद कम्पनी नुकसान का आकलन करने के लिए प्रतिनिधि को किसान के वहां भेजेगी.
अगले 10 दिनों के भीतर प्रतिनिधि किसान की फसल नुकसान का आकलन करेगा.
इसके बाद 15 दिनों के भीतर बीमित राशि किसानों के खातों में आ जाएगी.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत आने वाली बीमा कंपनीयों के टोल फ्री नंबरलिस्ट
बीमा कंपनी के नाम
टोल फ्री नंबर
भारतीय कृषि बीमा कंपनी
1800116515
बजाज आलियांज़ इंश्योरेंस
1800205959
भारती एक्सा जनरल इंश्योरेंस
18001037712
चोलामंडलम एमएस जनरल इंश्योरेंस कंपनी
18002005544
फ्युचर जनराली इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
1800 266 4141
एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस
1800 266 0700
आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी
1800 266 9725
इफको टोकियो जनरल बीमा कंपनी लिमिटेड
1800 103 5490
नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
1800 200 7710
न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
1800 209 1415
ओरिएण्टल इंश्योरेंस
1800 118 485
रिलायंस जनरल इंश्योरेंस
1800 102 4088 / 1800 300 24088
रॉयल सुंदरम अलायंस इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
1800 568 9999
एसबीआई जनरल इंश्योरेंस
1800 123 2310
श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
1800 3000 0000 / 1800 103 3009
टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
1800 209 3536
यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी
1800 4253 3333
यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
1800 200 5142
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना टोल फ्री नंबरहैं जिन पर किसान नुकसान की जानकारी दे सकते हैं
क्लेम के भुगतान में होने वाली देरी से बचने के लिए किसान किया करें
दावा भुगतान में देरी ना हो इसके लिए किसान अपने स्मार्ट फ़ोन का उपयोग करें. इसके लिए किसान फसल काटने के आंकड़े जुटाने और फिर साईट पर अपलोड करने के लिए स्मार्ट फ़ोन, रिमोट सेंसिंग ड्रोन और जीपीएस तकनीक का उपयोग करें.
पीएमएफबीवाई में दावे की गणना का तरीका जानने के लिए किसान भाइयों को योजना की https://pmfby.gov.in/ पर जाना होगा
इसके बाद किसान भाइयों को तीसरे नंबर के बॉक्स पर क्लिक करना होगा
इसके बाद एक नया पेज खुलेगा जिस पर फसल का चयन , साल ,स्कीम , स्टेट , डिस्ट्रिक्ट , क्रॉप आदि की जानकारी डालनी होगी
इसमें आप दावे से सबंधित जानकारी भरें और आपको कंप्यूटर ख़ुद से गणना कर के सारी जानकारी दे देगा जिसके बाद आप अपना प्रीमियम कैलकुलेट कर पायंगे.
पीएमफसल बीमा योजना की ज़िलेवार जानकारी | PM Fasal Yojana state wise list in Hindi
पीएम फसल बीमा योजना की ज़िलेवार जानकारी हासिल करने के लिए PMFBY की आधिकारिक वेबसाइट https://pmfby.gov.in/ पर जाना होगा.
वेबसाइट के ओपन होने के बाद रिपोर्ट वाले आप्शन पर क्लिक करना होगा.
इसके बाद आपको पीएम फसल बीमा योजना की ज़िलेवार(स्टेट वाइज फार्मर डिटेल) आप्शन पर क्लिक करना होगा.
इसके बाद आपके सामने जो पेज खुलकर आयेगा उस पीडीएफ को डाउनलोड कर के सालभर की जानकारी हासिल कर सकते हैं.
पीएम फसल बीमा योजना का फॉर्म कहाँ से लें
किसान भाई पीएमएफबीवाई का फॉर्म ऑफलाइन बैंक जाकर हासिल कर सकते हैं. फॉर्म ऑनलाइन भरने के लिए आप इस लिंक पर जा सकते हैं- http://pmfby.gov.in/
अगर आप फॉर्म ऑफलाइन लेना चाहते हैं तो नजदीकी बैंक की शाखा में जाकर फसल बीमा योजना (PMFBY) का फॉर्म भर सकते हैं.
फॉर्म भरने के लिए क्या-क्या जरुरी कागजात चाहिए ?
पीएम Fasal Bima Yojana का फॉर्मभरने के निम्नलिखित कागजात चाहिए
पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट, आधार कार्ड
खेत का खसरा नंबर / खाता नंबर
खेत पर फसल बोई है, इसका प्रूफ
प्रूफ के तौर पर किसान पटवारी, सरपंच, प्रधान के द्वारा लिखा पत्र
हर राज्य में ये व्यवस्था अलग अलग है इसलिए नजदीकी बैंक जाकर इस बारे में ज्यादा जानकारी ले सकते हैं
एक कैंसिल्ड चैक (Cancelled Cheque) भी लगाना जरूरी
फसल बीमा योजना की पात्रता
फसल बीमा योजना की पात्रता के लिए किसान को किसी भी चीज़ जरूरत नहीं है. कोई भी किसान इस योजना का लाभ ले सकता है. यहां तक की इसका लाभ कराये पर जमीन लेकर खेती करने वाले किसान भी ले सकते हैं. इसके तहत उन किसानों को ही पात्र माना जाएगा जो पहले से इस तरीके की किसी भी योजना का लाभ नहीं ले रहे हैं.
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दोस्तों, हम अक्सर खरीफ की फसल के बारे में न्यूज़ और किताबों में पढ़ते और सुनते ज़रूर हैं, लेकिन फिर भी खरीफ फसलों की विशेषताएं जानने में असफल होते हैं. शायद इसके पीछे का कारण सही जानकारी का आभाव होने के साथ-साथ खरीफ़ फसलों की विशेषताओं की जानकारी उपलब्ध न होना भी शामिल है. हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपको खरीफ की फ़सलों के बारे में सबकुछ बतायेंगे जिसके बाद आप kharif fasal ki paribhasha, kharif fasal ke udaharan और kharif crops meaning in hindi के साथ ही खरीफ की फसलों के विशेषतायें सम्बन्धी टॉपिक पर महारत हासिल कर लेंगे.
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खरीफ की फसल की परिभाषा( kharif fasal ki paribhasha)
भारत के अलावा पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी फसलों की बुवाई के लिए खरीफ शब्द का प्रयोग होता है. भारत में फ़सलों की बुवाई और कटाई के सीजन( kharif season in hindi) के अनुसार उन्हें मुख्य रूप से दो भागों में बंटा गया है. पहला जुलाई से अक्टूबर और दूसरा अक्टूबर से मार्च. जुलाई से अक्टूबर माह के दौरान जिन फ़सलों को बोया और कटा जाता है. उन्हें खरीफ की फसल के रूप में परिभाषित( kharif fasal ki paribhasha) किया जाता है. दूसरे शब्दों में यदि इन्हें परिभाषित करें तो खरीफ की फसल उन्हें कहा जाता है जिन्हें बोते वक़्त तापमान अधिक होने के साथ ही अधिक आद्रता की आवश्यकता होती है,लेकिन जैसे-जैसे ये फसलें तैयार होने और पकने की तरफ़ बढ़ती हैं मौसम शुष्क होने लगता है या कह लें फसलों को पकने के लिए शुष्क मौसम की ज़रुरत पड़ती है.
खरीफ़ का अर्थ(Meaning of kharif crop in hindi)
खरीफ़ शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा से हुई है. जहां खरीफ़ शब्द का मतलब पतझड़ से है. इसलिए भारत के कई हिस्सों में खरीफ़ की फसलों की पतझड़ की फसलें भी कहा जाता है. अक्सर भारत के कई हिस्सों में मानसून सीजन में पतझड़ देखने को मिलता है इसलिए इन्हें मानसून की भी फसलें भी कहा जाता है. भारत में जब मुगलों का आगमन हुआ तभी से खरीफ़ सीजन और खरीफ़ की फसलें प्रचलन में आई.
खरीफ फसलों की विशेषताएं( Features of Kharif Crops in hindi)
खरीफ फसलों की विशेषताएंइस प्रकार हैं
इन फ़सलों को वर्षा या मानसून के सीजन में उगाया या बोया जाता है
इन फ़सलों बढ़ने और पकने के लिए प्रचुर मात्रा में पानी की अवश्यकता होती है
इस फ़सलों की वृधि वर्षा प्रतिरूप पर निर्भर करती है
इन फ़सलों को मुख्य रूप से अप्रैल और मई के महीनों में बोया जाता है और इन फ़सलों की कटाई सितम्बर और अक्टूबर महीने के दौरान होती है
इन फ़सलों की खेती मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा तटीय क्षेत्र, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश आदि में होती हैं
खरीफ की फसल कब बोई है और खरीफ की फसल कब काटी जाती हैं ?
खरीफ की फसलें(kharif fasal kab hoti hai) मुख्य तौर पर वर्षा ऋतू और मानसून के आगमन पर बाई जाती हैं. भारत के अलग-अलग हिस्सों में इन्हें अप्रैल और मई के महीनों में बोया जाता है. इन फ़सलों को पूरी तरह तैयार होने में 4 से 5 महीने लगते हैं और इन फ़सलों को सितम्बर और अक्टूबर के महीने में काट दिया जाता है.
खरीफ की फसल के नाम और खरीफ की फसल के उदाहरण(kharif crops examples list in hindi)
खरीफ़ के सीजन में वैसे तो मुख्य रूप से धान या चावल बोए जाते हैं लेकिन इसके कुछ भी उदाहरण हैं जिसमें कुछ और फ़सलें, अनाज, सब्जी-फल शामिल हैं. नीचे खरीफ फसलों की सूची दी गई है( Kharif Crop List).
सब्जियां
फल
अनाज
बीज
बैगन, मिर्च, भिन्डी
गन्ना, सेब और संतरा
धान, चावल, सोयाबीन और बाजरा
तील, अरहर और मूंग
टिंडा, टमाटर, बीन
अमरुद, लीची और नारियल
जौ और मक्का
उरद, चना और लोबिया
लौकी, करेला, तुरई
बादाम, खजूर और अखरोट
कपास, मूंगफली और ग्वार
सेम, खीर, ककड़ी
पूलम, आडू और खुबानी
कद्दू और तरबूज
खरीफ की फसल के उदाहरण ( Example of Kharif Crop In Hindi)
गरीबी लेकर पैदा होना हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन मेहनत कर गरीबी को दूर करना हमारे हाथ में ज़रूर है. राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में रहने वाले अजय ने न केवल मेहनत कर गरीबी पर जीत हासिल की है, बल्कि आज वो एक सफल व्यसायी बनकर कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. अजय ने ये मुकाम ऐसे ही नहीं हासिल किया. उन्हें इसके लिए कठोर परिश्रम करने के साथ धैर्य भी रखना पड़ा. बचपन से लेकर जवानी तक अजय को कई कठनाइयों का सामना करना पड़ा.
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बचपन में धोने पड़े थे बर्तन
अजय ज़िन्दगी शुरुआत के समय से ही जिम्मेदारियों को अपने कंधो में लेकर चल रहे हैं. अजय ने बचपन में ही अपने पिता को खो दिया था. उस वक्त उनके घर में कोई भी कमाने वाला मौजूद नहीं था जिसके चलते अजय ने छोटी उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया. घर चलाने के लिए अजय ने पहले एक चाय की दुकान में बर्तन भी धोए. मालिक की डांट और बेफालतू की फटकार के बाद उन्होंने ख़ुद की ही चाय की दुकान खोल ली. दुकान में काफ़ी मेहनत करने के बाद भी उन्हें मुनाफ़ा नहीं हुआ. इस वजह से उन्हें दुकान बंद करनी पड़ी थी. इसके बाद उन्होंने खेती करने का निर्णय लिया.
खेती का आईडिया भी हुआ फेल
अजय के पास अपनी खानदानी जमीन थी जिसमें उन्होने पारम्परिक खेती की शुरुआत की, लेकिन पारंपरिक खेती में ज़्यादा मेहनत करने के बाद भी जीवनयापन करने में बहुत कठनाई हो रही थी. उन्होंने यहां भी हार नहीं मानी और आगे बढ़ने के लिए प्रयास करते रहे.
एलोवेरा की खेती का आईडिया
पारम्परिक खेती करने के दौरान इन्होंने नोटिस किया कि रामदेव बाबा के आयुर्वेदिक प्रोडक्ट काफ़ी चलन में हैं और वो अपने अधिकतम प्रोडक्ट में औषधीय गुणों वाले पदार्थो का इस्तेमाल करते हैं. इसके बाद अजय ने बाज़ार से जानकारी जुटाना शुरू कर दिया. कुछ दिन रिसर्च करने के बाद उन्हें एलोवेरा के बारे में पता चला. इसके बाद उन्होंने एलोवेरा की खेती करने का तय किया.
एलोवेरा के पौधो का इंतजाम
जय ने यह सोच तो लिया कि वह एलोवेरा की खेती करेंगे लेकिन उन्हें ये नहीं पता था कि वह एलोवेरा के पौधो का इंतजाम कहाँ से करें. तब उनके कुछ रिश्तेदारों से उन्हें पता चला कि चूरू के ही एक कब्रिस्तान में एलोवेरा के पौधे हैं. कुछ दिन पौधों के बारे में जानकारी जुटाने के बाद उन्हें ज्ञात हुआ कि कब्रिस्तान वाले एलोवेरा पौधों को हटना चाहते हैं. अजय के लिए एक अवसर था जो उन्हें एलोवेरा की खेती करने की तरफ़ ले जा रहा था. उन्होंने एक दिन समय निकालकर कब्रिस्तान जाने की योजना बनाई. जिसके बाद एक सुबह अजय ट्रेक्टर लेकर कब्रिस्तान पहुँच गए और पौधों को उखाड़कर ले आए और पौधे खेत में लगा दिए.
खेती की शुरुआत
अजय ने एलोवेरा पौधे तो खेत में लगा दिए थे लेकिन इसकी खेती कैसे करनी है उसकी उन्हें बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी. जिसके बाद अजय ने एलोवेरा की खेती कर रहे लोगों के पास जाना शुरू किया. वो एक एक कर एलोवेरा की खेती करने वालो के पास गए और खेती से जुड़े गुर सिखने लगे. उन्होंने पहले से खेती कर रहे लोगों से पास जाकर खूब जानकारी हासिल की. इसके एक साल बाद एलोवेरा के पौधे तैयार गए. उन्होंने एलोवेरा का जूस बनाकर पानी की बोतलो में भरके बेचना शुरू किया. कुछ समय बाद उनके कई ग्राहक बन गए और धीरे- धीरे कुछ कंपनियों से भी मांग आने लगी.
45 से ज़्यादा प्रोडक्ट्स का उत्पादन
अजय पिछले 12 साल से एलोवेरा की खेती कर रहे हैं और वह कुल 45 अलग-अलग तरह के प्रोडक्ट बनाते हैं. जिसमें शैंपू, कंडीशनर, साबुन जैसे प्रोडक्ट शामिल हैं. हाल ही में उन्होंने एलोवेरा के लड्डू का भी उत्पादन शुरू किया है. उनके इस उत्पाद को भी ग्राहकों द्वारा काफ़ी सराहा जा रहा है. 31 वर्षीय अजय अपने इस व्यवसाय से अब प्रतिमाह एक लाख रुपए से ज़्यादा कमा रहे हैं. कुछ टाइम पहले उन्होंने अपनी कंपनी भी खोल ली है. उन्होंने कंपनी का नाम नेचुरल हेल्थ रखा है और उसका रजिस्ट्रेशन भी करा लिया है. आज अजय 30 एकड़ जमीन पर एलोवेरा की खेती करते है. अजय ने बिना किसी की मदद से यह मुकाम हासिल किया है. आज अजय देश के युवाओं के लिए एक प्रेरणा बन गए हैं.
एक साल में 1 करोड़ 10 लाख रुपये का ढूध बेचना शायद ही हर किसी के लिए मुमकिन हो, लेकिन गुजरात की नवलबेन ने यह कारनामा कर दिखाया है. 62 वर्षीय नवलबेन ने साल 2020 में 1 करोड़ 10 लाख रुपये का ढूध बेचा. वह दूध बेचकर हर महीने 3.50 लाख रुपये कमा रही हैं. आइयें जानते हैं 1 करोड़ 10 लाख रुपये का ढूध बचेने वाली महिला की सफ़लता की कहानी.
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1 करोड़ 10 लाख रुपये का ढूध बेचने का रिकॉर्ड तोड़ने का लक्ष्य
नवलबेन ने 1 करोड़ 10 लाख रुपये का ढूध बेचकर रिकॉर्ड बना दिया है. चौधरी खानदान से ताल्लुक रखने वाली नवलबेन का पूरा नाम ‘नवलबेन दलसंगभाई चौधरी’ है. गुजरात के बनासकांठा ज़िले की वडगाम तहसील के नगाणा गांव में रहने वाली नवलबेन अब ‘अत्मनिभर भारत’ की एक मिशाल बन गई हैं. वह अनपढ़ होने के बावजूद भी एक नौकरी पेशे वाले व्यक्तियों से ज़्यादा कमा रही हैं. वह 62 वर्ष की उम्र में रुकने और थकने के बजाय अपने टारगेट को साल दर-साल दर बढ़ा रही हैं.उन्होंने साल 2021 में अपने पिछले रिकॉर्ड को ही तोड़ने का लक्ष्य रखा है. इससे पहले साल 2019 में उन्होंने 87.95 लाख का ढूध बेचा था.
80 भैंस और 45 गाय की डेयरी
नवलबेन की डेयरी से सुबह-शाम रोज़ाना 1000 लीटर दूध निकलता है. यह ढूध उन्हें 80 भैंस और 45 गायों से प्राप्त होता है. इस काम को वो अकेले ही देखती हैं. उनके चार बेटे हैं जो एमएड और बीएड कर शहर में नौकरी कर रहे हैं. ढूध बेचने के मामले में वह बनासकांठा ज़िले में नंबर एक स्थान पर हैं. वह ढूध बेचकर हर महीने 3.50 लाख रुपये का मुनाफ़ा भी कमा रही हैं.
कई पुरस्कारों से नवाज़ा जा चुका है
नवलबेन को बनासकांठा ज़िले के दो लक्ष्मी पुरस्कार और तीन बेस्ट पशुपालक पुरस्कारों से नवाज़ा जा चुका है. उन्हें सभी पुरस्कार मुख्यमंत्री के द्वारा गांधीनगर में दिए गए थे. नवलबेन की डेयरी माध्यम से 11 गांवओं के लोगों को रोजगार मिला हुआ है.
अपने प्राकृतिक सौदर्य के लिए विख्यात ‘उत्तराखंड’ के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है. देश का पहला पराग कण पार्क( पॉलीनेटर पार्क) उत्तराखंड में खुल गया है. यह पार्क नैनीताल ज़िले के हल्द्वानी में रामपुर रोड स्थित अनुसन्धान केंद्र में खुला गया है. इसका उद्घाटन 29 दिसम्बर 2020 को तितली विशेषज्ञ पीटर स्मैटिक और मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने किया.
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पराग कण पार्क( पॉलीनेटर पार्क)
पॉलीनेटर श्रेणी में तितली, मधुमक्खी और चिड़िया को शामिल किया जाता है क्योंकि यह तीनों ही परागण करते हैं. यह प्रक्रिया पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के लिहाज़ से काफ़ी ख़ास है. इससे एक उदाहरण के साथ समझने की कोशिश करते हैं. जब कोई तितली, मधुमक्खी या चिड़िया किसी नर पुष्प पर बैठते हैं तो नर पुष्प के पराग कण उनसे चिपक जाते हैं. यही प्रक्रिया जब मादा पुष्प पर की जाती है तब पराग कण उस पुष्प पर गिर जाते हैं. जिससे नए पुष्प को पनपने का मौक़ा मिलता है.
पराग कण पार्क( पॉलीनेटर पार्क) किस-किस किस्म के फूल
पार्क में फूलों का बहुत महत्व होता है. इसके लिए पार्क में फूलों का चुनाव बहुत सोच समझकर किया जाता है. पार्क में गेंदा, गुलाब, हरसिंगार, पारिजात समेत अन्य प्रजातियों के फूल लगाए गया हैं. यह पार्क क़रीब चार एकड़ के क्षेत्र में फैला है. पार्क में छोटे-छोटे तालाब भी बनाए गए हैं.
पार्क) का प्राकृतिक लुक
पॉलीनेटर पार्क को प्राकृतिक लुक दिया गया है.पार्क के आस-पास जंगल हैं.जिसकी वजह तितली, मधुमक्खी या चिड़िया आकर्षित होती है. पार्क के अंदर खैर, यूकेलिप्टस और शीशम के पेड़ भी लगाए गए हैं इसकी वजह से और भी तितली, मधुमक्खी या चिड़िया आकर्षित होंगी. पार्क में पॉलीनेटरों की 40 से ज्यादा प्रजातियां मौजूद हैं जिनमें कॉमन जेजेबेल, कॉमन इमाइग्रेंट, रेड पैरट, प्लेन टाइगर और लाइम बटरफ्लाई आदि शामिल हैं
आन्दोलन कर रहे किसानों के लिए आम आदमी पार्टी ने सिंघु बॉर्डर पर वाई-फाई लगाने का ऐलान किया है. किसानों द्वारा आम आदमी पार्टी से लगातार वाई-फाई की मांग की जा रही थी, जिसके बाद पार्टी ने बॉर्डर पर वाई-फाई लगाने का निर्णय लिया. आम आदमी पार्टी अलग-अलग स्थानों पर वाई-फाई हॉटस्पॉट लगाएगी. गौरतलब है पिछले एक महीने से ज़्यादा समय से किसान कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के आसपास सीमाओं पर डेरा डालें हुए हैं. लगातार बढ़ रही ठण्ड के कारण किसानों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है उन्हीं में एक कमजोर इन्टरनेट नेटवर्क भी है. इसी समस्या को दूर करने के उद्देश्य से आम आदमी पार्टी ने सिंघु बॉर्डर पर वाई-फाई लगाने का ऐलान किया है.
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सिंघु बॉर्डर पर वाई-फाई
आप पार्टी द्वारा बॉर्डर पर लगाए जाने वाले वाई-फाई हॉटस्पॉट की रेडियस क़रीब 100 मीटर होगी. वाई-वाई लगाने से पहले कमजोर इन्टरनेट नेटवर्क वाले स्थानों का चुनाव किया जाएगा. इन स्थानों का चुनाव किसान द्वारा दिए गए सुझावों के अनुरूप किया जाएगा. आम आदमी पार्टी ही सिंघु पर लगाए जाने वाले वाई-फाई का खर्च वैहन करेगी.
टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर Wi-Fi न लगाए जाने पर सवाल
आम आदमी पार्टी किसानों की मांग के अनुरूप वाई-फाई लगाएगी. पार्टी का कहना है अगर टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर के किसान भी वाई-फाई की मांग करेंगे तो उन्हें भी यह सुविधा मुहैया कराई जाएगी.
कीर्तन दरबार का हिस्सा बनें केजरीवाल
सोमवार को सिंघु बॉर्डर पर कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया था. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बने थे. इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार पर कई आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि बीजेपी ने अपने सभी नेताओं को कृषि कानूनों के लाभ बताने के लिए मैदान में उतार चुकी है लेकिन कोई भी नेता कृषि काननों के लाभ बताने में सफल नहीं रहा. उन्होंने आगे आरोप लगाते हुए कहा की केंद्र सरकार बार-बार यही बोल रही कि एमएसपी सुविधा को समाप्त नहीं करेगी और ये कोई लाभ और सुविधा नहीं है.
देखना होगा आप सरकार द्वारा सिंघु बॉर्डर पर वाई-फाई लगाना किसानों के लिए कितना फायदेमंद साबित होगा.