भारत में जैविक खेती शुरू कर लाखों रूपये कमायें| How to Start Organic Farming in india in Hindi

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(How to Start Organic Farming in india in Hindi, organic farming in hindi, benefits, disadvantage) भारत में जैविक खेती कैसे करें, जैविक खेती क्या है, इसके क्या लाभ हैं, ट्रेनिंग कहाँ से लें, अकार्बनिक खेती और जैविक खेती में अंतर, जैविक खेती के प्रकार, जैविक खेती के नुकसान

दोस्तों, बदलते समय ने हमारे खेती करने के तरीके को भी बदल दिया है. आज अधिक उत्पाद प्राप्त करने के लिए हम खेतों में अंधाधुंध रसायनों का उपयोग करने लगे हैं. इससे खेतों की उर्वरा शक्ति तो कम होती है. साथ ही प्राप्त होने वाले अनाज, फल और सब्जियां भी पोषक तत्व रहित होती है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम अब फिर से जैविक खेती की तरफ बढ़ने लगे हैं.

जैविक खेती ना केवल सस्ती है बल्कि इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी नुकसान नहीं होता है. किसान भाई जैविक खेती अपना कर अपना मुनाफ़ा दोगुना कर सकते हैं. इसके लिए जैविक खेती करने के तरीके के बारे में पूर्ण जानकारी होना ज़रूरी है. इस लेख के माध्यम से हम आपको जैविक खेती से जुड़ी छोटी से छोटी जानकारी उपलब्ध करायेंगे, जिससे आप भी आसानी से जैविक खेती को घर(Organic Farming at home) में ही शुरू कर सकते हैं. आपसे अनुरोध है कि जैविक खेती के बारे में सबकुछ जानने के लिए लेख को अंत तक ज़रूर पढ़ें.

जैविक खेती किसे कहते हैं (What is organic farming in hindi)

खेती की वह विधि जिसमें रसायनों का ना के बराबर इस्तेमाल होता है. इस विधि में उत्पादन और मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए कीटनाशकों और कृत्रिम रसायनों का प्रयोग नहीं किया जाता है. यह विधि पूरी तरह जैव उर्वरकों पर निर्भर होती है. इस विधि में अक्सर जैविक खाद जैसे वर्मी कम्पोस्ट, जानवरों का मल-मूत्र, हरी खाद, लकड़ी की राख का इस्तेमाल किया जाता है. इस विधि में रासायनिक दवाइयों का प्रयोग भी नहीं किया जाता है. फसलों को कीट-पतंगों से बचाने के लिए भी प्राकृतिक पदार्थों का उपयोग किया जाता है.

जैविक खेती के लाभ (organic farming benefits)

जैविक खेती सभी प्रकार से लाभदायक है. यदि हम एक कृषक की दृष्टि से इसके लाभ जाने तो, उसकी भूमि की उपजाव क्षमता में वृद्धि होती है. सिंचाई अंतराल में बढ़ जाता है. कम पानी की आवश्यकता पड़ती है और बार-बार खेतों को नहीं सींचना पड़ता है. किसान की रासायनिक खादों पर निर्भरता कम हो जाती है, जिससे कास्तकारी की लागत भी कम हो जाती है. किसान की फसलों की उत्पादकता भी में भारी इजाफ़ा होता है. इस विधि के जरिये किसान अपनी आय भी बढ़ा सकता है.

यदि हम जैविक खेती के लाभ को मृदा की दृष्टि से देखें तो, भूमि की गुणवत्ता में भारी इजाफा होता है. भूमि की जल धारण क्षमता कई गुना तक बढ़ जाती है. खेत में जल काफी देर तक ठहरता है. भूमि से जल देरी से वाष्पित होता है.

यदि जैविक खेती के लाभ को पर्यावरण की दृष्टि से देखें तो, रासायनिक खादों से होने वाले प्रदूषण में कमी आती है. जल की कम जरुरत के कारण पानी का दोहन नहीं होता है. जैविक खाद को बनाने में कचरे का प्रयोग किया जाता है, जिससे कचरे से होने वाला प्रदूषण भी नहीं होता है. बीमारियां कम हो जाती हैं.

जैविक खेती क्यों महत्वपूर्ण है (why organic farming is important)

यदि आज से ही हमने रासायनिक खादों और कीटनाशकों पर अपनी निर्भरता खत्म नहीं की तो, इसका हमें खतरनाक खामियाजा भुगतना पड़ेगा. हमारी मट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म हो जाएगी. हमारे जल स्रोत सुख जायेंगे. जैविक खेती अपनाकर हम मट्टी, पानी का क्षरण और दोहन दोंनो ही रोक सकते हैं. इस विधि के इस्तेमाल से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं. रासायनिक अनाज, फल और सब्जियां खाने से कई बीमारियों के होने का खतरा भी बढ़ जाता है. इस विधि के प्रयोग से हम बीमारियों पर भी काबू पा सकते हैं. जैविक खेती शुरू कर हम प्रकृति को नया रूप दे सकते हैं जो आने वाली पीढ़ी के लिए लाभदायक साबित होगा.

जैविक खेती के प्रकार (types of organic farming)

शुद्ध जैविक खेती

जैसी की नाम से जाहिर हो रहा है कि इस विधि में रसायनों का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया जाता है.

एकीकृत जैविक खेती

यह एक चक्रीय जैविक खेती की विधि है जिसमें अपशिष्ट पदार्थ को पोषक तत्वों में तब्दील किया जाता है.

भारत में जैविक खेती कैसे शुरू करें (How to start organic farming in india in hindi)

भारत में जैविक खेती शुरू करना काफी आसान है. इसके लिए अलग से किसी नए संसाधन की आवश्यकता नहीं पड़ती है. किसान भाइयों के पास जैविक खेती शुरू करने के लिए आवश्यक चीज़े पहले से मौजूद रहती हैं. किसान भाई उनके सहारे जैविक खेती शुरू कर सकते हैं.

  • इसके लिए सबसे पहले किसान भाइयों के पास गाय का होना जरुरी है.
  • इसके लिए पहले किसान भाई गाय के गोबर को सुखा लें और साथ में एक बड़े ड्रम में गौ मूत्र को भी इकठ्ठा कर लें.
  • गाय के गोबर को किसानों को कम से कम 3-5 दिन तक सुखाना जरुरी है.
  • किसान भाई कम से कम 100 किलों गोबर को सुखाएं.
  • किसान भाई गौमूत्र वाले ड्रम में 20 kg गुड़ डाल दें.
  • ड्रम में गौमूत्र और गुड़ को 2-3 दिन तक सुबह और शाम हिलाए, जिससे गुड़ गौमूत्र में अच्छे से मिक्स हो जाये.
  • गुड़ गौ मूत्र में मौजूद अच्छे जीवाणुओं की संख्या को कई गुना तक बढ़ा देता है.
  • इसके बाद किसान भाई सुखाये गये गोबर को हाथ से मसल कर चाय पट्टी जितना बारीक़ कर लें.
  • फिर किसान भाई ड्रम से 20 लीटर गौ मूत्र को बारीक़ किये हुए 100kg गोबर में मिला दें.
  • गौ मूत्र को गोबर में अच्छे मिलना लेना है.
  • इसके बाद किसान भाईयों को 2kg बेसन लेकर रखना है.यदि बेसन ना भी हो तो किसी भी दाल के पाउडर को रखना है.
  • फिर बेसन या किसी भी दाल के आटे को 100 किलो वाले गोबर में मिला देना है.
  • इसके बाद किसान भाइयों को मिट्टी भी इन्तेजाम करना होगा.
  • ये मिट्टी पीपल के पेड़ के नीचे, बरगद के पेड़ के नीचे या किसी तालब के किनारे की होनी चाहिए.
  • इनके नीचे की मिट्टी में जीवाणु काफी ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं जिस कारण इसी मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है.
  • इस मिट्टी को भी सुखा लेना है और फिर 100 किलो गोबर के साथ मिला लेना है.
  • अब जैविक खाद तैयार हो चुकी है इस खाद को DAP खाद की जगह इस्तेमाल किया जा सकता है.
  • इस खाद का नाम जीवामृत खाद कहते हैं.
जैविक और अजैविक खेती में अंतर (difference between organic and inorganic farming)
  • जैविक खेती में ना के बराबर रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है जबकि अजैविक खेती में रसायनों का भरपूर इस्तेमाल किया जाता है.
  • जैविक खेती में मृदा की उर्वरक शक्ति बढ़ती है जबकि अजैविक खेती में उर्वरक शक्ति को नुकसान होता है.
  • जैविक खेती से पर्यावरण को नुकसान नहीं होता है, जबकि अजैविक खेती से पर्यावरण को नुकसान होता है.
  • जैविक खेती से भूमि की जल धारण करने की क्षमता बढ़ जाती है, जबकि अजैविक खेती से कम हो जाती है.
  • जैविक खेती में बार-बार पानी की आवश्यकता नहीं पड़ती है, जबकि अजैविक में बार-बार खेत सींचना पड़ता है.
  • जैविक में पानी देर से वाष्पित होता है, जबकि अजैविक में पानी जल्दी-जल्दी वाष्पित होता है.
  • जैविक खेती सस्ती है जबकि अजैविक खेती काफी महंगी है.
जैविक खेती के नुकसान (organic farming disadvantage)
  • जैविक खेती की अधूरी जानकारी या जानकारी का आभाव.
  • जैविक पदार्थों का आभाव.
  • निर्यात की मांग पूरी न कर पाना.
  • सरकार द्वारा जैविक खेती की तरफ ध्यान न देना.
  • सरकार द्वारा जैविक पदार्थों में रासायनिक पदर्थों की तुलना में कम सब्सिडी देना.
  • सरकार द्वारा जैविक खेती के लिए पीकेवीवाई योजना को अच्छे से लागू न करना.
  • जैविक खेती की निति 2005 से चली आ रही है उसमें कोई बदलाव न करना.
जैविक खेती के लिए रजिस्ट्रेशन (jaivik kheti registration)

जैविक खेती के लिए रजिस्ट्रेशन करना के लिए आप इस वेबसाइट पर जा सकते हैं. ये सरकार द्वारा दी गई वेबसाइट है.https://dmsouthwest.delhi.gov.in/hi/scheme/%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6-%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A4%BF-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B8-%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%9C/

जैविक खेती की ट्रेनिंग(jaivik kheti training)

जैविक खेती की ट्रेनिंग के लिए आप हमसे सम्पर्क कर सकते हैं. आप हमारे नंबर 9205632859 पर कॉल कर सकते हैं और ट्रेनिंग ले सकते हैं.

जैविक खेती पीडीएफ(organic farming PDF)

जैविक खेती क्या है ?

खेती की वह विधि जिसमें रासायनिक उर्वरकों, खाद और कीटनाशकों का ना के बराबर इस्तेमाल किया जाता है.

जैविक खेती कितने प्रकार की होती है ?

जैविक खेती मुख्य रुप से दो प्रकार की होती है. पहली शुद्ध जैविक खेती और दूसरी एकीकृत जैविक खेती.

आर्गेनिक खेती में क्या-क्या आता है ?

पुआल, घास-फुस, पतियां, कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट, वर्मीवॉश, नादेप कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट या केंचुआ खाद, सीपीपी आदि आता है.

जैविक खेती के लाभ ?

किसान की रासायनिक खादों पर निर्भरता कम हो जाती है,भूमि की गुणवत्ता में भारी इजाफा होता है, भूमि की जल धारण क्षमता कई गुना तक बढ़ जाती है,रासायनिक खादों से होने वाले प्रदूषण में कमी आती है.

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