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दोस्तों आप छात्र हो या खेती करने वाले किसान सभी को उर्वरक क्या हैं और परिभाषा को जानना ज़रूरी है. इसके के बारे में सबकुछ जानने के लिए आपको achhifasal.com के लेख को अंत पढ़ना आवश्यक है. इस लेख में आपको उर्वरक क्या है, इसकी परिभाषा, जैव उर्वरक, khad or urvarak me antar, सरकार द्वारा उर्वरकों में दी जा रही सब्सिडी के बारे में जानने को मिलेगा.
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उर्वरक की परिभाषा (Fertilizer definition in Hindi)
उन रसायन को उर्वरक(urvarak ki paribhasha) कहा जाता है जो फसल की उपज बढ़ाने में मदद करते हैं या कृषि उपज बढ़ाने में प्रयुक्त किए जाते हैं. उर्वरकों का इस्तेमाल पड़े-पौधों की वृद्धि करने में भी किया जाता है. एक तौर पर देखा जाए तो उर्वरकों का प्रयोग(Use of Fertilizers) भूमि को अतरिक्त पोषक तत्व देने के लिए किया जाता है. अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए भूमि में पोषक तत्वों का प्रचुर मात्रा में होना ज़रूरी होता है और इन्हीं की आपूर्ति कृत्रिम तौर पर भूमि को पोषक तत्व देकर की जाती है.
उर्वरकों के प्रकार(Types of Fertilizers in Hindi)
मुख्य रूप से 6 प्रकार के उर्वरक होते हैं वो निम्नलिखित हैं
- अकार्बनिक उवर्रक (Inorganic Fertilizers)
- नाइट्रोजनी उर्वरक (Nitrogenous Fertilizers)
- फॉस्फेटिक उर्वरक (Phosophatic Fertilizers)
- पोटाश उर्वरक (Potash Fertilizers)
- NP उर्वरक (NP Fertilizers)
- पूर्ण उर्वरक (Complete Fertilizers)
उर्वरकों का इस्तेमाल(Use of Fertilizers)
उर्वरकों इस्तेमाल(urvarak ka prayog kiya jata hai) करना बड़ा ही आसान है, पहले उर्वरक को पानी में घोला जाता है जिसके बाद मिट्टी या फिर पत्तियों पर उसका छिड़काव किया जाता है. छिड़काव करने पर पौधों की मिट्टी और पत्तियां इसे अवशोषित कर लेती हैं. वैसे तो इसका इस्तेमाल पौधों में आवश्यक तत्वों की तत्काल पूर्ति के लिए किया जाता है, लेकिन इसके प्रयोग के कुछ दुष्परिणाम भी हो सकते है. यह सिंचाई के समय जल के साथ ही जमीन के नीचे पहुंच जाता है जिसके कारण भूमि में उपस्थित जल दूषित हो जाता है, और तो और रसायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल मिट्टी में उपस्थित जीवाणुओं और सूक्ष्मजीवों के लिए भी हानिकारक साबित हो सकता है इन्ही कारणों की वजह से रसायनिक उर्वरकों के विकल्प में जैविक उर्वरको या जैविक खाद का प्रयोग तेज़ी से प्रचलन में आ रहा है.
उर्वरक किसे कहते हैं ( Urvarak kise kahate hain)
खाद को इंग्लिश में Manure बोलते हैं. खाद का प्रयोग भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए किया जाता है. जल के अतिरिक्त वो पदार्थ जिनका प्रयोग खेती की उर्वरकता बढ़ाने और भूमि को आवश्यक खनिज़-तत्व प्रदान करने के लिए किया जाता है खाद कहलाते हैं. खाद में पोषक तत्व जटिल कार्बनिक रूपों में मौजूद रहते हैं. खाद वो जैविक प्रदार्थ हैं जिनका उपयोग कर खेती की उर्वरा शक्ति को प्राकृतिक तौर पर बढ़ाया जाता है. खाद पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मानव और जीव-जंतुओं के अवशिष्ट पदार्थों के अपघटन से प्राप्त होता है. इनके प्रयोग से ज़मीन उपजाऊ होती है.
खाद के प्रकार ( Types of Khad in Hindi)
इसके मुख्य रूप से तीन प्रकार होते हैं
- गोबर खाद (Animal Manure)
- कम्पोस्ट खाद (Compost)
- हरी खाद (Green Manure)
खाद और उर्वरकों में अंतर (khad or urvarak me antar)
भूमि को उपजाव बनाने और पोषक-तत्व देने के लिए जिन रसायनों का प्रयोग किया जाता है उन्हें Fertilizer कहते हैं. खाद का प्रयोग भी भूमि की उर्वरा शक्ति और भूमि को उपजाव बनाने के लिए किया जाता है लेकिन खाद प्राकृतिक पदार्थों से प्राप्त की जाती है. उर्वरकों को कृत्रिम तौर पर कारखानों में तैयार किया जाता है. खाद पर्यावरण के अनुकूल होती है जबकि उर्वरकों के प्रयोग से भूमि और पर्यावरण दोनों को नुकसान पहुंचता है. उर्वरकों को पेड़-पौधों की पत्तियां और भूमि तेज़ी से अवशोषित करती है लेकिन खाद को धीरे-धीरे अवशोषित किया जाता है. अक्सर ऐसा देखा गया कि उर्वरकों की तुलना में खाद काफ़ी सस्ती और बजट फ्रेंडली होती हैं.
जैविक उर्वरकों के लाभ ?(Benefit of fertilizer in Hindi)
जैविक खाद या जीवाणु खाद उन उर्वरकों को कहा जाता हैं जिन्हें जीव-जन्तुओं या वनस्पतियों से प्राप्त किया जाता हैं, जैसे खाद, कम्पोस्ट, आदि.जैविक उर्वरक के प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है साथ ही साथ पर्यावरण पर किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता.खेतों की एक ग्राम मिट्टी में लगभग दो-तीन अरब सूक्ष्म जीवाणु मौजूद होते हैं जिसमें मुख्यतः बैक्टिरीया, फफूंद, कवक, प्रोटोजोआ, आदि शामिल होते हैं जो मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाते है और फ़सलों की वृद्धि में अनेक कार्य करते हैं. जैविक उर्वरक का भूमि पर धीरे-धीरे प्रभाव पड़ता है लेकिन बहुत ही लाभकारी होता है.
उर्वरक सब्सिडी में केंद्र सरकार द्वारा किये गए बदलाव
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने उर्वरक सब्सिडी में बदलाव करते हुए वर्तमान वित्त वर्ष 2021-22 में किसानों को 1 लाख करोड़ की सब्सिडी प्रदान करने का प्रस्ताव रखा है.पिछले वित्त वर्ष तक जहां इस सब्सिडी का लाभ उर्वरक कंपनियों को मिलता था वहीं इस वित्त वर्ष में पूरा लाभ किसानों के हित में रहेगा. बीते वर्ष तक यह सब्सिडी , उर्वरक उत्पादन करने वाली कंपनियों को दी जाती थी जो सब्सिडी पर कीमतों में किसानों को उर्वरक बेचा करते थे. लेकिन अब केंद्र सरकार इस सब्सिडी को सीधा ही देश के 14 करोड़ किसानों के बैंक खातों स्थानांतरण(ट्रांसफर) करने पर काम कर रही है.इस योजना पर काम करते हुए केंद्र सरकार ने उर्वरक कंपनियों को पिछले वर्ष के बकाया 1.36 रुपयों का भुगतान कर दिया है.केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय द्वारा इस योजना को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर(डीबीटी) योजना के तौर पर पेश किया है जिसके अंतर्गत इस योजना का लाभ सीधा किसानों को होगा.
कृषि क्षेत्र में वृद्धि
बीते वर्ष यानी कि 2020 में केंद्र सरकार ने 79,998 करोड़ रूपये की उर्वरक सब्सिडी प्रदान करी थी. वहीं 2019 में 70,605 करोड़ रूपये की सब्सिडी दी गई थी. सरकार ने कोरोना काल के दौरान सरकार तीसरे राहत पैकेज में भी 65,000 करोड़ रूपये की उर्वरक सब्सिडी दी. अब इस वर्ष 1 लाख करोड़ की सब्सिडी का प्रस्ताव यह दर्शाता है कि सरकार कृषि क्षेत्र में विकास को लेकर अनुकूल कदम उठा रही है जिसका लाभ पूर्ण रूप से हमारे देश के किसानो को होगा.