हमारे देश में खेती को एक प्रोफेशन के तौर पर नहीं देखा जाता है. खेती को मज़बूरी में किया गया काम माना जाता है. हमारे देश का युवा किसी भी अन्य तरीके के रोजगार के लिए पढ़ाई करता और डिग्री हासिल करता है. युवा नौकरी के लिए ताबड़तोड़ मेहनत करना पसंद करता है, लेकिन उसे किसान बनना मुनासिब नहीं होता. आज हम आपको एक ऐसे ही किसान की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने प्रोफेशनल तौर पर सिविल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा हासिल किया है, लेकिन विश्व में पहचान उन्हें किसान के तौर पर मिल रही. अच्छी फसल के लेख के माध्यम से हम आपको 7 फीट ऊंचा धनिया( 7 Feet Uncha Dhanya) उगाने वाले व्यक्ति के बारे में बतायेंगे.
7 फीट ऊंचा धनिया उगाने का रिकॉर्ड
उत्तराखंड के रानीखेत में रहने वाले गोपाल दत्त उप्रेती ( Gopal Dutt Upreti) की पढ़ाई लिखाई दिल्ली में हुई. उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल किया. इसके बाद वहीं बिल्डिंग निर्माण का कार्य करने लगे. गोपाल की इस नौकरी से अच्छी कमाई भी हो रही थी. 14-15 वर्ष नौकरी करने के बाद उनका और बच्चों का ठिकाना भी दिल्ली ही हो गया, लेकिन कुछ वक़्त और नौकरी करने के बाद उनकी जिंदगी में कुछ ऐसा घटा कि वो नौकरी और दिल्ली छोड़ अपने गांव रानीखेत लौट आए. आज वो 8 एकड़ ज़मीन में फल और मसालों की खेती कर रहे हैं. उनका इससे सालाना टर्नओवर 12 लाख से ज़्यादा का है. वह आज देश के पहले ऐसे किसान बन गए हैं जिन्होंने आर्गेनिक खेती करने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया है.
यूरोप भ्रमण से आया आईडिया
दरअसल गोपाल दत्त अपने कुछ दोस्तों के साथ साल 2012 में यूरोप घूमने गए थे. तब उन्हें वहां सेब के बगीचे का भ्रमण करने का मौक़ा मिला. इस दौरान उन्होंने महसूस किया कि वहां की ज़मीन, मौसम और बर्फ़बारी रानीखेत से मिलती जुलती है. इसी तरीके से रानीखेत में भी सेब की खेती की जा सकती है. घर वापस आने के बाद जब उन्होंने नौकरी छोड़ खेती करने की बात अपने परिवार के साथ साझा की. नौकरी छोड़ने की बात पर उन्हें परिवार के विरोध सामना करना पड़ा. इसके बाद भी वह पीछे नहीं हटे.
उन्होंने खेती की ट्रेनिंग से जुड़ी जानकारी जुटाना शुरू किया. इसके बाद गोपाल खेती की प्रोसेस जानने के लिए नीदरलैंड भी गए. वहां उन्होंने सेब की खेती के एक्सपर्ट से मुलाकात की. खेती करने के तरीके को समझा. नीदरलैंड से घर लौटने पर उन्होंने रानीखेत जाने का फैसला किया. वहां पहुंचकर कुछ जमीन किराए पर ली और खेती का काम शुरू किया. उन्होंने विदेश के प्लांट मंगवाने की बजाय हिमाचल से सेब के प्लांट मंगवाए. उन्होंने 3 एकड़ जमीन पर क़रीब 1000 सेब के पौधे लगाए.
एक साल बाद ही उनके पौधों में फ्रूट तैयार हो गए. फल तैयार होने के बाद उनके सामने फल को कहाँ बेचा जाए यह सवाल खड़ा हुआ. फिर उन्होंने गूगल की मदद से आर्गेनिक फलों की मांग करने वाली कंपनियों के नंबर जुटाए और बेचना शुरू किया. जिससे उन्हें मंडी से अच्छे दाम मिलने शुरू हुए. जल्दी उन्होंने धनिया, मसालों, हल्दी और लहसून की खेती भी शुरू कर दी. इस साल उन्होंने 7 फ़ीट ऊंचा धनिया उगाया जिसके बाद उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया. आज गोपाल एक उन्नत किसान के तौर पर जाने जाते हैं. वह अपने साथ-साथ पांच अन्य लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं.