अपने प्राकृतिक सौदर्य के लिए विख्यात ‘उत्तराखंड’ के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है. देश का पहला पराग कण पार्क( पॉलीनेटर पार्क) उत्तराखंड में खुल गया है. यह पार्क नैनीताल ज़िले के हल्द्वानी में रामपुर रोड स्थित अनुसन्धान केंद्र में खुला गया है. इसका उद्घाटन 29 दिसम्बर 2020 को तितली विशेषज्ञ पीटर स्मैटिक और मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने किया.
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पराग कण पार्क( पॉलीनेटर पार्क)
पॉलीनेटर श्रेणी में तितली, मधुमक्खी और चिड़िया को शामिल किया जाता है क्योंकि यह तीनों ही परागण करते हैं. यह प्रक्रिया पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के लिहाज़ से काफ़ी ख़ास है. इससे एक उदाहरण के साथ समझने की कोशिश करते हैं. जब कोई तितली, मधुमक्खी या चिड़िया किसी नर पुष्प पर बैठते हैं तो नर पुष्प के पराग कण उनसे चिपक जाते हैं. यही प्रक्रिया जब मादा पुष्प पर की जाती है तब पराग कण उस पुष्प पर गिर जाते हैं. जिससे नए पुष्प को पनपने का मौक़ा मिलता है.
पराग कण पार्क( पॉलीनेटर पार्क) किस-किस किस्म के फूल
पार्क में फूलों का बहुत महत्व होता है. इसके लिए पार्क में फूलों का चुनाव बहुत सोच समझकर किया जाता है. पार्क में गेंदा, गुलाब, हरसिंगार, पारिजात समेत अन्य प्रजातियों के फूल लगाए गया हैं. यह पार्क क़रीब चार एकड़ के क्षेत्र में फैला है. पार्क में छोटे-छोटे तालाब भी बनाए गए हैं.
पार्क) का प्राकृतिक लुक
पॉलीनेटर पार्क को प्राकृतिक लुक दिया गया है.पार्क के आस-पास जंगल हैं.जिसकी वजह तितली, मधुमक्खी या चिड़िया आकर्षित होती है. पार्क के अंदर खैर, यूकेलिप्टस और शीशम के पेड़ भी लगाए गए हैं इसकी वजह से और भी तितली, मधुमक्खी या चिड़िया आकर्षित होंगी. पार्क में पॉलीनेटरों की 40 से ज्यादा प्रजातियां मौजूद हैं जिनमें कॉमन जेजेबेल, कॉमन इमाइग्रेंट, रेड पैरट, प्लेन टाइगर और लाइम बटरफ्लाई आदि शामिल हैं