Home Blog Page 5

गोपाल: देश के पहले किसान जिन्होंने 7 फीट ऊंचा धनिया उगाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया

हमारे देश में खेती को एक प्रोफेशन के तौर पर नहीं देखा जाता है. खेती को मज़बूरी में किया गया काम माना जाता है. हमारे देश का युवा किसी भी अन्य तरीके के रोजगार के लिए पढ़ाई करता और डिग्री हासिल करता है. युवा नौकरी के लिए ताबड़तोड़ मेहनत करना पसंद करता है, लेकिन उसे किसान बनना मुनासिब नहीं होता. आज हम आपको एक ऐसे ही किसान की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने प्रोफेशनल तौर पर सिविल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा हासिल किया है, लेकिन विश्व में पहचान उन्हें किसान के तौर पर मिल रही. अच्छी फसल के लेख के माध्यम से हम आपको 7 फीट ऊंचा धनिया( 7 Feet Uncha Dhanya) उगाने वाले व्यक्ति के बारे में बतायेंगे.

7 फीट ऊंचा धनिया उगाने का रिकॉर्ड

उत्तराखंड के रानीखेत में रहने वाले गोपाल दत्त उप्रेती ( Gopal Dutt Upreti) की पढ़ाई लिखाई दिल्ली में हुई. उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल किया. इसके बाद वहीं बिल्डिंग निर्माण का कार्य करने लगे. गोपाल की इस नौकरी से अच्छी कमाई भी हो रही थी. 14-15 वर्ष नौकरी करने के बाद उनका और बच्चों का ठिकाना भी दिल्ली ही हो गया, लेकिन कुछ वक़्त और नौकरी करने के बाद उनकी जिंदगी में कुछ ऐसा घटा कि वो नौकरी और दिल्ली छोड़ अपने गांव रानीखेत लौट आए. आज वो 8 एकड़ ज़मीन में फल और मसालों की खेती कर रहे हैं. उनका इससे सालाना टर्नओवर 12 लाख से ज़्यादा का है. वह आज देश के पहले ऐसे किसान बन गए हैं जिन्होंने आर्गेनिक खेती करने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया है.

यूरोप भ्रमण से आया आईडिया

दरअसल गोपाल दत्त अपने कुछ दोस्तों के साथ साल 2012 में यूरोप घूमने गए थे. तब उन्हें वहां सेब के बगीचे का भ्रमण करने का मौक़ा मिला. इस दौरान उन्होंने महसूस किया कि वहां की ज़मीन, मौसम और बर्फ़बारी रानीखेत से मिलती जुलती है. इसी तरीके से रानीखेत में भी सेब की खेती की जा सकती है. घर वापस आने के बाद जब उन्होंने नौकरी छोड़ खेती करने की बात अपने परिवार के साथ साझा की. नौकरी छोड़ने की बात पर उन्हें परिवार के विरोध सामना करना पड़ा. इसके बाद भी वह पीछे नहीं हटे.

उन्होंने खेती की ट्रेनिंग से जुड़ी जानकारी जुटाना शुरू किया. इसके बाद गोपाल खेती की प्रोसेस जानने के लिए नीदरलैंड भी गए. वहां उन्होंने सेब की खेती के एक्सपर्ट से मुलाकात की. खेती करने के तरीके को समझा. नीदरलैंड से घर लौटने पर उन्होंने रानीखेत जाने का फैसला किया. वहां पहुंचकर कुछ जमीन किराए पर ली और खेती का काम शुरू किया. उन्होंने विदेश के प्लांट मंगवाने की बजाय हिमाचल से सेब के प्लांट मंगवाए. उन्होंने 3 एकड़ जमीन पर क़रीब 1000 सेब के पौधे लगाए.

एक साल बाद ही उनके पौधों में फ्रूट तैयार हो गए. फल तैयार होने के बाद उनके सामने फल को कहाँ बेचा जाए यह सवाल खड़ा हुआ. फिर उन्होंने गूगल की मदद से आर्गेनिक फलों की मांग करने वाली कंपनियों के नंबर जुटाए और बेचना शुरू किया. जिससे उन्हें मंडी से अच्छे दाम मिलने शुरू हुए. जल्दी उन्होंने धनिया, मसालों, हल्दी और लहसून की खेती भी शुरू कर दी. इस साल उन्होंने 7 फ़ीट ऊंचा धनिया उगाया जिसके बाद उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया. आज गोपाल एक उन्नत किसान के तौर पर जाने जाते हैं. वह अपने साथ-साथ पांच अन्य लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं.

किसानों ने 500-500 रुपए जोड़कर बनाई 10 करोड़ रुपये की कंपनी

10 करोड़ रुपये की कंपनी

उत्तर प्रदेश के हरदोई ज़िले के किसानों ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है जो अमूमन लोगों के बस से बाहर है. हरदोई के किसानों ने 500-500 रुपए जमा कर 5000 हज़ार की लागत से कंपनी की शुरुआत की और आज उनकी कंपनी का टर्नओवर 10 करोड़ के पार पहुँच गया है. किसानों ने 10 करोड़ रुपये की कंपनी बनाई.‘किसान प्रोड्यूसर कंपनी’ नामक इस को कंपनी को 2017 में रजिस्टर्ड कराया था . इनकी कंपनी किसानों को बीज, खाद और कीटनाशक खुले बाज़ार की तुलना में काफ़ी सस्ते दामों पर उपलब्ध कराती है. इनकी कंपनी की इस ख़ास बात का मुरीद आप भी हो जाएंगे. दरअसल, इनकी कंपनी ब्लाक के बाकी किसानों को सस्ते में बीज, कीटनाशक तो मुहैया कराती ही थी साथ में उन्हें कंपनी का शेयरहोल्डर भी बनाती थी. इसके लिए किसानों को महज़ 500 रुपए का शुल्क अदा करना होता था जिसमें वो खेती का सामान भी खरीद सकते थे. पहले साल को तो किसान कंपनी की लागत भी नहीं निकाल सकें, लेकिन उन्होंने लोगों का विश्वास और भरोसा खूब कमाया. दूसरे साल किसान लगातार जुड़ते गए और तीसरे साल उन लोगों ने 2500 किसानों को कंपनी से जोड़ दिया

10 करोड़ रुपये की कंपनी में दिक्कत का सामना

कंपनी के अध्यक्ष मनोज कुमार का कहना है कि किसानों को हर स्तर पर कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कभी बाज़ार में बीज पर महगाई की मार झेलनी पड़ती है तो कभी कीटनाशकों पर. हमने इसी कमी को दूर करने के मकसद से कंपनी की शुरुआत की. पहले साल हमारे साथ मात्र 800 किसान जुड़ें लेकिन हमने मेहनत की और 3 साल यह आकड़ा 2500 को पार कर गया. ब्लॉक के किसानों को हम हर तरीके की सुविधा प्रदान करते थे. हमारे एक्सपर्ट किसानों के खेतों में जाते और उनकी खेती का मुआयना करते थे और उन्हें हर तरीके की मदद देने का आश्वासन करते थे. हमने किसानों को बीज, खाद और कीटनाशक 20 प्रतिशत के मार्जन पर देने की बजाय दो प्रतिशत पर देना शुरू किया. इससे हम अपने किसानों भाइयों को सस्ते में बीज, खाद और कीटनाशक उपलब्ध कराने लगे और उनकी मदद करने लगे.