दोस्तों हम सभी एलोवेरा के औषधीय गुणों से भली-भांति परिचित हैं. आज एलोवेरा का प्रयोग दवाई बनाने से लेकर सभी तरह हर्बल प्रोडक्ट के निर्माण में किया जा रहा है, लेकिन क्या आपने एलोवेरा से बनने वाली बैटरी सेल के बारे में सुना है ? .आज हम आपको अच्छी फसल के माध्यम से एलोवेरा से बनने वाली इको फ्रेंडली बैटरी और इसे विकसित करने वाले युवाओं के बारे में बतायेंगे. इस लेख के माध्यम से हम आपको एलोवेरा के वानस्पतिक नाम से लेकर एलोवेरा से बैटरी विकसित करने की विधि तक बतायेंगे. आपसे अनुरोध है कि एलोवेरा से जुड़ी जानकारी हासिल करने के लिए इस लेख को अंत तक पढ़ें.
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एलोवेरा का हिंदी नाम
हम सभी ने एलोवेरा के बारे में सुना है, लेकिन इसे हिंदी में किस नाम से पुकारते हैं. इस बारे में कम ही लोगों को पता होता है. औषधीय गुण वाले एलोवेरा को हिंदी में घृतकुमारी और ग्वारपाठा के नाम से पुकारा जाता है. यह लिली परिवार का सदस्य है जिसमें खनिज़, लवण और विटामिन भरपूर मात्र में होते हैं. एलोवेरा से कई अविश्वसनीय स्वास्थ्य लाभ होते हैं जिस कारण एलोवेरा को दुनिया भर में खूब इस्तेमाल किया जाता है.
एलोवेरा से इको फ्रेंडली बैटरी सेल
दोस्तों, राजस्थान के बूंदी गांव के रहने वाले निमिशा वर्मा और नवीन सुमन एलोवेरा के उपयोग एक क़दम और आगे लेकर चले गए हैं. इन दोनों ने एलोवेरा की क्षमता को पहचान कर इससे इको फ्रेंडली बैटरी सेल विकसित किया है. इन्होंने एलोवेरा से इलेक्ट्रोलाइट तैयार कर बैटरी सेल बनाया है. इलेक्ट्रोलाइट का ही प्रयोग सेल को ऊर्जावान बनाने के लिए किया जाता है, लेकिन इन्होंने प्राकृतिक तरीक़े से इसे तैयार किया है. यह सेल 99 फ़ीसदी इको फ्रेंडली है और ब्लास्ट भी नहीं होता है. दोनों ने 1.5 वोल्ट के सेल का नाम एलोई ई-सेल रखा है.
कैसे आया इको फ्रेंडली बैटरी सेल बनाने का आईडिया
राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी से बीटेक करने के बाद निमिशा ने अपना स्टार्टअप करने का सोचा. उन्हें इसके लिए अपशिष्ट प्रबंधन (वेस्ट मैनेजमेंट) विषय बेहतर लगा. 2017 में अपशिष्ट प्रबंधन में रिसर्च के दौरान निमिशा और नवीन को पता चला कि भारत में जितना भी इलेक्ट्रिक वेस्ट उत्पन्न होता है उसका एक बड़ा भाग ड्राई सेल बैटरी से आता है. ड्राई सेल बैटरी पर्यावरण को प्रदूषित करने के साथ ही आसानी से नष्ट भी नहीं होती हैं. इन बैटरीज के माध्यम लीवर और किडनी की बीमारियां होने के चांस काफ़ी बढ़ जाते हैं. तब दोनों के दिमाग में इको फ्रेंडली बैटरी बनाने का ख्याल आया और देश में प्रदूषण कम करने में अपना योगदान देने के लिए दोनों ने अपना स्टार्टअप शुरू करने का फैसला किया.
कई फल सब्जियों पर किया प्रयोग
निमिशा और नवीन ने अपने आईडिया को धरातल पर उतार ने लिए अलग-अलग फल-सब्जियों पर प्रयोग करना शुरू किया. उन्होंने पहले नीबू, आलू, बैगन से बैटरी बनाई लेकिन अधिक पतला होने के कारण ज़्यादा देर तक बैटरी चल नहीं पाई. इसके बाद दोनों ने केले, पपीते और चावल के पेड़ पर प्रयोग किए, लेकिन उनके ये प्रयोग भी असफल हुए. काफ़ी वक्त तक सफलता हाथ न लगने के बाद भी दोनों ने इको फ्रेंडली बैटरी सेल बनाने के आईडिया को त्यागा नहीं. दोनों लगातार अलग-अलग चीजों पर प्रयोग करते रहे. अंत में दोनों एलोवेरा तक पहुंच गए.
एलोवेरा से इको फ्रेंडली बैटरी सेल बनाने की विधि
एलोवेरा से इको फ्रेंडली बैटरी सेल बनाने के लिए पहले एलोवेरा को पेड़ से तोड़ लिया जाता है, फिर इसे साफ़ तरीक़े से धोया जाता है इसके बाद एलोवेरा का रस निकालकर, रस को पतला किया जाता है. आगे एलोवेरा के रस में बराबर मात्रा में नीबू का रस आदि मिलाया जाता है, फिर मिश्रण में कॉपर और जिंक मिलाकर उसे बैटरी में बंद कर लेते हैं. इसके बाद एलोई ई-सेल का टैग लगाकर उसे लीक प्रूफ बैटरी का रूप देते हैं. निमिशा और नवीन पैसों की कमी के चलते इस काम को अपने हाथों से ही करते हैं जिस कारण उन्हें एक बैटरी सेल बनाने में 20 से 25 मिनट लगते हैं. यदि बैटरी को मशीन से बनाया जाएगा तो समय की 97 फ़ीसदी बचत होगी.
प्रदूषण में 70% से ज़्यादा कमी आ सकती है
एलोवेरा निर्मित बैटरीज से प्रदूषण में 76.1% तक की कमी आ सकती है. इनके उपयोग से किसानों को रोजगार भी मिलेगा और देश का 109 मिलियन डॉलर भी बचेगा. किसान 2 एकड़ ज़मीन से लाख रुपये प्रति फ़सल तक कमा सकते हैं. इन बैटरीज के इस्तेमाल से भारत की आर्थिक स्थिति में 78% सुधार आ सकता है. सबसे ख़ास बात बैटरीज के उपयोग से होने वाली बीमारियों में 98% तक की कमी आ सकती है.
कहां-कहां एलोवेरा निर्मित बैटरीज का इस्तेमाल कर सकते हैं
मोबाइल की बैटरी में लिथियम ऑयन का इस्तेमाल होता है, यदि उसमें एलोवेरा का इस्तेमाल किया जाए तो 70% तक लिथियम ऑयन के इस्तेमाल में कमी लाई जा सकती है. एलोवेरा से बनी बैटरी को टीवी के रिमोट, घड़ी और खिलौनों आदि में इस्तेमाल किया जा सकता है. एलोवेरा निर्मित बैटरीज अन्य के मुक़ाबले काफ़ी ज़्यादा सस्ती और अधिक चलने वाली हैं. इनके 0% प्रदूषण और 0% विस्फोट होने के चांस हैं.
गो ग्रीन इन दि सिटी प्रतियोगिता
निमिशा और नवीन का स्टार्टअप दुनिया के 8 सबसे इनोवेटिव स्टार्टअप्स में भी सुमार हो चुका है. दोनों को साल 2019 में गो ग्रीन इन दि सिटी प्रतियोगिता के लिए भी आमंत्रित किया गया था. यह प्रतियोगिता स्पेन के बार्सेलोना शहर में सम्पन्न हुई थी. वहां भी दोनों का स्टार्टअप विजेता रहा. दोनों की प्रगति को देखते हुए यूएस एम्बेसी ने इन्हें इनक्यूबेट करने का निर्णय लिया. दोनों अपने इनोवेटिव आईडिया की वजह से ग्लोबल इंटेपरेनुरशिप, बूटकैम्प थाईलैंड और ग्रीन एनर्जी कांग्रेस स्पेन में राष्ट्रीय विजेता रहे. इसकी बैटरी iso 9001:2015 और Iso 14001:2015 सर्टिफाइड हो चुकी है. उम्मीद की जा रही है दोनों का यह आईडिया जल्द ही रफ़्तार पकड़ेगा और जिसकी बाज़ार में जबरदस्त मांग भी होगी.